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“करवाचौथ” और मेरा व्रत

JANMANCH
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पिछले कुछ वर्षों से देख रहा हूँ की कुछ पुरुष भी करवा चौथ का व्रत रखने लगे हैं। और क्यों न रखें रखना भी चाहिए आखिर उन्हें भी अधिकार है की वो अपनी पत्नी की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखें। इस से यही पता चलता है की वो भी अपनी पत्नियों को कितना चाहते हैं।


हमारे पडोसी मिस्टर शर्मा हमेशा से करवा चौथ का व्रत रखते आये थे,मिसेज शर्मा के साथ ही व्रत रखते और शाम को चाँद देख कर व्रत तोड़ते और मिसेज शर्मा की लम्बी उम्र की दुआ करते। लेकिन सुनना मुझे पड़ता था की ” देखो शर्मा जी को, अपनी पत्नी के साथ व्रत रखते हैं और शाम को स्वयं भी चाँद देखने के बाद ही व्रत तोड़ते हैं,और एक तुम हो जो एक दिन भी मेरे लिए भूखे नहीं रह सकते।” और मैं मिसेज गुप्ता को समझाता की ऐसा नहीं है की मैं बिना चाँद देखे ही खाना खा लेता हूँ बस अंतर इतना है की मिस्टर शर्मा का चाँद रात को निकलता है और मेरा चाँद मेरे सामने घूमता रहता है तो जब भी चाँद दिखा तब ही कुछ न कुछ खा लिया।” बस मेरे कहने के भाव से मिसेज गुप्ता समझ जातीं की मैं उन्ही की बात कर रहा हूँ, वो मुस्कराकर रह जातीं कहतीं “चलो छोडो बातें बनाना भी कोई तुमसे सीखे।”

मुझे फ़िल्मी कलाकारों में सबसे बुरा शाहरुख खान लगता है इसी की वजह से ये आदमियों ने व्रत रखना शुरू किया है उसने एक फिल्म में (दिलवाले दुल्हनियाँ ……) व्रत रख कर ये दिखा दिया की वो सिमरन को कितना प्यार करता है और उसके लिए भूखा भी रह सकता है, जैसे की जो लोग व्रत नहीं रखते भूखे नहीं रहते वो प्यार ही नहीं करते, बस आदमी लोग भी शुरू हो गए व्रत करने को जबकि सभी जानते हैं की जो कुछ फिल्मों में दिखाया जाता है सच नहीं होता, पता नहीं यहाँ सबकी अक्ल कहाँ घास चरने चली गयी।

पिछले कुछ वर्षों से मेरे ऊपर भी एक दबाव सा आ रहा था जिसे देखो वही व्रत रख रहा है और ये नए नए पति जो बने हैं उन्हें ज्यादा सूझती है उल्टे सीधे काम करने की। वैसे भी आजकल के युवा परम्परावादी तो हैं ही नहीं सारी पुरानी परम्पराएं तोडनी हैं, पुराने जमाने में माँ बाप के साथ रहते थे अब अलग रहते हैं अपनी श्रीमती जी के साथ। पहले सलाह मशवरा अपने घर में अपने माता पिता से करते थे आज कल सास ससुर से करते हैं। पहले घर गृहस्थी की जिम्मेदारी खुद सम्हालते थे अब पत्नियों के साथ बाँट ली है पहले जीवन भर साथ रहने का वचन शादी पर लेते थे और पूरी जिंदगी निभाते थे और अब तो शादी में लेते हैं और दो करवा चौथ के बाद अदालत में तोड़ देते हैं। निभाली शादी और हो गया लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ।

ओ हाँ जैसा की मैंने लिखा की पिछले कुछ वर्षों से मेरे ऊपर भी एक दबाव सा आ रहा था तो इस बार मैंने भी सोचा की चलो मैं भी करवा चौथ का व्रत रख ही लेता हूँ अपने चाँद को नहीं वो ऊपरवाले के चाँद को देखकर ही खाना खाऊंगा। मन में ऐसा प्रण लिया नहा धोकर तैयार हो गया तो सामने नाश्ता भी आ गया वो भी मेरी पसंद का मन कुछ डांवाडोल सा होने लगा की चलो छोड़ो अगली बार व्रत रख लेंगे। श्रीमती जी इतनी मेहनत से बनाकर लायीं खा लेना चाहिए फिर एक बार मन ने कहा क्या मुनीष तुम एक दिन भी भूखे नहीं रह सकते ……….! मैंने कुछ सोचते हुए नाश्ता करने से मना कर दिया तो श्रीमती जी बोलीं ” क्यों क्या हुआ” ……….. मैं चुप ……. पता नहीं क्यों मैं ये नहीं कह पा रहा था की मै भी व्रत रख रहा हूँ इसलिए कुछ टाल मटोली सी करता हुआ बोला …….. ” वो ऐसे ही ….. पेट ठीक नहीं नहीं है ” न जाने क्यों मैं ये नहीं कह पाया की मैंने व्रत रखा है।

मैं ऑफिस के लिए निकला और निकलते ही मुझे भूख लगने लगी। जिधर भी देखता उधर ही लोग कुछ न कुछ खाने में व्यस्त थे और मैं व्रत के कारण नहीं खा पा रहा था। आज लोग बाग़ भी कुछ और दिनों से ज्यादा ही खा रहे थे जिसे देखो सुबह से ही खाने में लगा था और में व्रत के चक्कर में फँसा था। ऐसा लग रहा था ये लोग सब कुछ खा जायेंगे शाम तक कुछ भी नहीं छोड़ेंगे, उफ़ एक एक पल अभी से असहनीय होता जा रहा था रोज़ भले ही मुझे दोपहर तक भूख नहीं लगती थी परन्तु आज सुबह से ही लगने लगी।

ऑफिस पहुँच कर मैंने सोचा चलो कोई बात नहीं यहाँ कुछ खा लेता हूँ घर पर थोड़े ही पता चलेगा अभी ये सोच ही रहा था की शर्मा जी आते हुए दिखाई पड़े, उनके चेहरे पर चमक थी मैंने पुछा ” क्या बात है आज बड़े प्रसन्न नज़र आ रहे हैं ” वो बोले हाँ वो आज करवा चौथ है तो बस श्रीमती जी के लिए कुछ गिफ्ट लाने की सोच रहा था ……….! ये लो ये एक और नयी बात ले आये, मुझे तो ये शर्मा बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दलाल मालूम पड़ता है उनका माल बिकवाने के लिए नयी नयी बातें बताता रहता है, करता रहता है। एक और नयी बात बताकर चला गया एक और खर्चा ………!

पर हमारी श्रीमती जी ने तो हमसे कुछ माँगा ही नहीं है तो हमें कुछ लेने की ज़रुरत ही नहीं। लगता है ये शर्मा से इसकी बीवी कुछ ज्यादा ही मांग जांच करती है इसीलिए ये व्रत भी रखता है की हे इश्वर चाहे ये उम्र थोड़ी लम्बे भले ही हो जाए परन्तु सात जन्मों का कोटा इसी जन्म में पूरा हो जाए। जिस से अगले जन्म में मिसेज शर्मा से छुटकारा मिल जाए ……… ! बहर हाल मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं था फिर भी मैं अजीब अजीब सी बातें सोच रहा था।

अब भूख जोरों पर थी और मेरा व्रत का प्रण प्राण त्यागता सा प्रतीत हो रहा था। आज मुझे वो पान गुटखा खाने वाले लोग भी खुशनसीब लग रहे थे जिनको मैं रोज़मर्रा के दिनों में गालियाँ देता था। सोचा चाय पी लेता हूँ पहली बार में इतना ही बहुत है इतने व्रत से ही श्रीमती जी की काफी उम्र बढ़ गयी होगी, आज के ज़माने में ज्यादा उम्र भी ठीक नहीं होती। और हो सकता है श्रीमती जी ने भी चाय पी ली हो वो ही कहाँ ये चाहने वाली हैं की मैं ही ज्यादा बूढा होने तक जिंदा रहूँ। वो तो मेरी वैसे भी बड़ी शुभ चिन्तक हैं हर बात का ध्यान रखतीं हैं तो उम्र का भी ध्यान रखेंगी कहीं एक आध फ़ालतू व्रत से कहीं ज्यादा लम्बी उम्र हो गयी तो वैसे ही आफत।

मैंने चाय मँगाई, लेकिन चाय आने के साथ ही विचारों ने फिर झोका मारा ” क्या मुनीष तुम ये सोच रहे हो की तुम्हारी बीवी ने चाय पी ली होगी अरे औरतें निर्जला व्रत रखतीं हैं और सदियों से निरंतर रखती आ रही हैं और तुम एक चाय पर अपना ईमान बिगाड़ रहे हो बीवी पर शक कर रहे हो। चाय रखी रह गयी लेकिन साथ ही अब भूख की ओर भी कम ध्यान था क्योंकि मेरे दिमाग में शर्मा की बात आ गयी थी ” गिफ्ट।”

तो क्या मुझे भी गिफ्ट लेकर जाना चाहिए …..? ऐसी महंगाई में और ऊपर से दिवाली भी आ रही है। लेकिन इतने वर्षों में मैंने कभी कोई गिफ्ट नहीं दिया श्रीमती जी ने कभी कुछ नहीं कहा ……….! इसका मतलब ये शर्मा बेवकूफ बनाता है डरता होगा अपनी बीवी से तो इसलिए मख्खनबाजी करता रहता है। लेकिन हो सकता है श्रीमती जी सोचतीं हों लेकिन कहती न हों ……..! ये सोचकर मैं भी ऑफिस से जल्दी ही निकल गया कोई गिफ्ट लेने के लिए। हालांकि अब कुछ थकान लग रही थी लेकिन मन में कुछ उल्लास सा जाग रहा था कुछ लेने के लिए अब मुझे भूख नहीं लग रही थी या मेरा भूख की तरफ ध्यान नहीं था

मैं एक साडी लेकर घर आ गया था। श्रीमती जी अपने काम में व्यस्त थीं फिर भी वो आयीं की और बोलीं ” चाय बना लाऊं?” मैंने न में गर्दन हिला दी। ……….वो बोली क्यों? मैं फिर ये न कह सका की मैंने भी आज व्रत रखा है पता नहीं ये डर था की कहीं मैं हंसी का पात्र न बन जाऊं या कुछ और लेकिन मैं व्रत में भी सच नहीं बोल पा रहा था मैंने कहा ” वो अभी रास्ते में एक साथी मिल गए तो उन्ही के घर पीकर आ रहा हूँ”

चाँद निकल आया था आज का चाँद कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा था या कुछ और बात थी पता नहीं रोज़ जो मुझे चाँद में दाग नज़र आता था आज वो श्रृंगार नज़र आ रहा था। मैं भी श्रीमती जी के साथ छत पर आ गया था चाँद देखने के बहाने। श्रीमतीजी ने चाँद को जल चढ़ाया और मुझसे बोलीं ” लो कम से कम आज तो तुम थोडा बहुत जल चढ़ा दो वैसे तो कभी हाथ भी नहीं जोड़ते। मैंने भी जल चढ़ा दिया फिर श्रीमती ने मुझसे कहा ” लीजिये जल पीजिये और अपना व्रत तोडिये ………….!” मेरे चेहरे का रंग ऐसा हो गया जैसे किसी ने मुझे रंगे हाथों चोरी करते हुए पकड़ लिया हो। मैंने कहा ” तुम्हे कैसे पता की मैंने व्रत रखा है ” वो बोलीं सब जानती हूँ आपका चेहरा पढ़ कर मन की किताब पढ़ लेती हूँ और ये भी नहीं जानूंगी की आप व्रत में हैं” जिस बात को मैं सुबह से बताने में संकोच कर रहा था वो वो श्रीमती जी को पहले से ही पता है लेकिन अगले ही पल डांट पड़ी कुछ खट्टी मीठी सी ” ये बिना मतलब खर्चा करने की क्या पड़ी थी जो इतनी महंगी साडी लेकर आये ये व्रत क्या हम स्त्रियाँ गिफ्ट लेने के लिए रखतीं हैं ……!

मैं कुछ हिचकिचाता सा बोला ” मैं तो बस यूँ ही ……..!” ये व्रत तो हम स्त्रियाँ रखती हैं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए और अच्छे स्वास्थ के लिए। हमारे लिए तो ये ही उपहार होता है की जीते जी पति का साथ बना रहे। और इस साथ को भला हम किसी और उपहार से कैसे बदल सकते हैं मेरे लिए तो आप ही मेरा उपहार हैं।

मैं फिर बोल्ड हो चुका था। श्रीमती जी को समझना बहुत मुश्किल काम है। पता नहीं ऐसा मेरे साथ ही है या सभी के साथ, पर शायद शर्मा कुछ ज्यादा समझता है जो हर वर्ष व्रत रखता है और हर वर्ष उपहार भी देता है। बहरहाल जो भूख सुबह से मेरे प्राण लेने पर आमादा थी अब उसका अहसास भी नहीं था और मैं सोच रहा था की पहले श्रीमतीजी भोजन करें और वो कह रहीं थीं की पहले आप।

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