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“जंगल की गाली”

JANMANCH
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सुन्दर वन की सुन्दरता अब पहले जैसी नहीं रह गयी थी। वन के सभी जानवर चिंतित थे की दिन पर दिन जंगल उजड़ता जा रहा है और कोई कुछ भी नहीं कर पा रहा है। बहुत से जानवर और पक्षी तो अब केवल यादों में ही रह गए हैं। न छोटी गौरैया कहीं फुदकती हुई नज़र आती है और तोते भी लुप्तप्राय से ही हो गए हैं, अब तो सुन्दर वन में शेर राजा भी नहीं हैं। जंगल की व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्थित हो चुकी है। किसी को किसी से कोई सरोकार नहीं है। लेकिन पता नहीं क्यों आज भोलू बन्दर ने बंदरों की सभा बुलाई है और बंदरों की सभा को लेकर बाकी सभी जानवर आशंकित भी थे क्योंकि शेर राजा के जाने के बाद से जंगल में बंदरों का उत्पात बहुत बढ़ गया था एक तो वैसे ही सभी जानवर दुखी थे की इस नामुराद आदमी के कदम जब से जंगल में पड़े तब से जंगल बरबाद सा हो गया था और दूसरा ये बन्दर कोढ़ में खाज का काम कर रहे थे। कुछ जानवर तो बंदरों को दूसरा आदमी भी कहने लगे थे। परन्तु आज बंदरों की सभा को लेकर सभी जानवर आशंकित थे।

शाम होते होते सभी बन्दर जंगल की लगभग सूख चुकी नदी के किनारे जमा होने लगे। जब सभी बन्दर सभा में पहुँच गए तो भोलू बन्दर मंच पहुँच गया उसके साथ कुछ बुजुर्ग बन्दर भी मंच पर चढ़ गए। लेकिन तभी बन्दर के कुछ और जानवर भारी भरकम हाथी दद्दा के साथ चले आ रहे थे।

आते ही हाथी दद्दा ने भोलू बन्दर से कहा ” माफ़ करना भोलू में तुम्हारी सभा मैं विघ्न डाल रहा हूँ परन्तु जंगल के सभी जानवर तुम्हारी आज की सभा को लेकर भयभीत हैं वो वैसे ही तुम सबकी शैतानियों से परेशान रहते हैं अब उनके मन में ये डर है की कहीं तुम उनको परेशान करने की कोई साजिश तो नहीं रच रहे हो इसलिए मुझे इनके साथ आना पड़ा।

अरे आप कैसी बात करते हैं दद्दा और आप तो हमारे माननीय हैं हम तो वैसे भी बैठक के बाद आपके पास आने ही वाले थे। चलो अच्छा हुआ आप सब आ गए। आप सबका भी सभा में स्वागत है और कृपया दद्दा आप मंच पर पधारें भोलू बन्दर ने शालीनता से ज़वाब देते हुए सबका स्वागत किया।

अरे नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूँ वैसे भी तुम्हारा मंच मेरे हिसाब से नहीं है …….. पता चला मेरे मंच पर चढ़ते ही मंच ही नीचे आ गया और सभा स्थगित करनी पड़ गयी। …….. हाथी दद्दा ने चुटकी ली, और सभी उपस्थित जानवर ठहाका लेकर हंसने लगे।

सभी लोग बैठ गए और भोलू बन्दर ने एक किताब को दिखाते हुए बोलना शुरू किया ” साथियों सालों पूर्व किसी आदमी ने ये किताब लिखी थी जिसमें उसने ये लिखा था की आदमी के पूर्वज हम बन्दर थे। हमें भी आदमी की तरक्की को देखकर ख़ुशी होती की देखो ये हमारे ही वंशज हैं जो इतनी तरक्की कर रहे है और जब जंगल के बाकी जानवर हमें दूसरा आदमी कहते तो मन ही मन हम वास्तव में खुश होते थे लेकिन आज यहाँ एकत्र होने का कारण ये आदमी ही है जिसकी वजह से हमारी गर्दन शर्म से झुक गयी है ( फिर भोलू बन्दर ने कुछ और दिखाते हुए कहा) ये मैं शहर से कुछ अखबार लाया हूँ और इनमें इन आदमियों की हैवानियत के विषय में लिखा है की किस प्रकार कुछ कृतघ्न आदमियों ने मिलकर एक असहाय लड़की का बलात्कार किया, आगे मैं कुछ कहूँ इस से पहले आप सभी जानवर बंधू ये अखबारों पर निगाह दाल लें।

( फिर भोलू बन्दर ने अखबार सभी जानवरों को पढने के लिए दिए कुछ समय तक सभा में कौतूहल सा बना रहा। कुछ जानवर अखबार पढने लगे, कुछ कौतुहलपूर्ण निगाहों से उनका मुहं ताकने लगे। कुछ देर बाद भोलू बन्दर ने कहा )

साथियों आशा है आप लोगों ने इन दुष्ट आदमियों के विषय में पढ़ लिया होगा अब मैं अपनी बात आप सबके सामने रखता हूँ पहली बात तो ये की ये मनुष्य जाति अब हमारी वंशज कहलाने योग्य नहीं रह गयी है इसलिए हम अपने आप को आदमियों का पूर्वज मानने से इनकार करते हैं, क्या आप सभी इस बात से सहमत हैं ( सभी बंदरों ने सहमती में गर्दन हिलाई जैसे इंसानी भीड़ हिलाती है ) मेरा अपने बुजुर्ग बंदरों से एक प्रश्न यह भी है की हम बंदरों का वो कौन सा खानदान है जिसके बन्दर इंसान बन गए। जिस से आज हम पर इतना बड़ा कलंक लगा है

सभी बुजुर्ग बन्दर एक दुसरे का मुहं देखने लगे किसी को वास्तव में ये नहीं पता था की आखिर कौन से बन्दर विकास करते करते इंसान बन गए किसी से कोई जवाब नहीं बना तो भोलू बन्दर ने फिर आगे बोलना शुरू किया ” तो इसका अर्थ यह है की हम एक आदमी की बात का विशवास करके ये मानते चले आ रहे हैं की हम बन्दर इस आदमी के पूर्वज हैं। अतः इसका दूसरा अर्थ ये हुआ की इस आदमी ने हमें धोखे में रखा, और हम ये सोचकर खुश होते रहे की इंसान सबसे समझदार होता है तो हमारा मान बढ़ रहा है वास्तव में आदमियों की इस हैवानियत पूर्ण हरकत को पढ़कर हमें लगता है की आदमी होना एक गाली है इसलिए मेरा जंगल के सभी जानवरों से अनुरोध है की हमें कोई दूसरा आदमी कहकर न पुकारे वर्ना हम उस पर जंगल के क़ानून के तहत मानहानि का दावा करंगे।

( सभी जानवरों ने भोलू बन्दर को आश्वासन दिया की अब कोई भी बंदरों को दूसरा आदमी नहीं कहेगा )

एक बात और भी है की हम सब इस इंसान का बहिष्कार कैसे कर सकते है इस विषय पर विचार करने की जरूरत है।

तभी एक कुत्ते ने कहा ” अरे तुम बन्दर खुद ही तो अपने आप को इंसान का पूर्वज मानते थे तो बहिष्कार भी तुम ही करो हम सब से क्या लेना देना।

भोलू बन्दर ने एक मंझे हुए नेता की तरह बोलना शुरू किया ” साथियों पहली बात तो ये की ठोकर खाकर ही अक्ल आती है और अब हमें लगता है की ये आदमी नाम का जानवर किसी भी तरह से विशवास योग्य नहीं है क्योंकि एक तो ये स्वयं ही एक दुसरे पर विशवास नहीं करते दूसरा इस दुष्ट आदमी के कारण ही आज हमारे जंगल की ये दशा हुई है सारे पेड़ काट डाले, अपने शौक के लिए हमारे जानवर साथियों का शिकार किया हमारे राजा शेर को पकड़ कर ले गए वहां बेचारों को पिंजरे में कैद कर रखा है और हंटर से पिटाई करते हैं हमारे राजा को मनोरंजन का साधन समझते हैं। ……….!

तो ये सब तुम्हे आज क्यों बोल रहे हो ……….. ! आज बात तुम्हारी ज्ज्ज़त की आई तो तुम हम सबको सीख देने चले आये ………….. कुत्ते ने फिर बीच में काट कर कहा

ये तुम नहीं तुम्हारे गले में पड़ा ये पट्टा बोल रहा है इसको उतारकर बात करो …… सब तुम्हारी समझ में आ जाएगा ………… भोलू ने कुछ हँसते हुए कहा ( सभी जानवर खिल खिलाकर हंस पड़े ) बहरहाल मैं ज्यादा किसी की बुराई भलाई में पड़ना नहीं चाहता बस मैं जो कहना चाहता था वो कह चूका हूँ अब बात ये है की हम सब इस दुष्ट आदमी का बहिष्कार कैसे करैं ……..!

अब हाथी दद्दा खड़े हुए और बोले ” हम सबने भोलू की बात सुनीं जो वास्तव मैं उसके अन्दर की पीड़ा ही है ये बात सही है की हा में से कोई भी इंसान को नहीं करता क्योंकि इसके रहते हम सबके अस्तित्व पर बन आई है पर ये भी सच है की हम सब उस इंसान के चातुर्य के आगे मजबूर हैं उसके आगे न हमारे राजा शेर की चलती है और न ही मुझ जैसे भारी भरकम जानवर की ही ……… भगवान् ने हमें उसके आगे मजबूर कर दिया है की हम सब चाहकर भी उसका बहिष्कार नहीं कर सकते इसलिए मेरा विचार है की हम आदमी या इंसान शब्द को ही जंगल के संविधान के तहत एक गाली घोषित कर दें और उस शब्द को बोलने पर प्रतिबन्ध लगा दें। आज से हम मैं से कोई भी इस कृतघ्न इंसान को हमारे प्रिय बंदरों का वंशज नहीं मानेगा”

सभी जानवरों ने तालियाँ बजायीं और सभा समाप्त कर दी गयी।

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