डूब मरना चाहिए चुल्लू भर पानी में, इतनी मेहनत बेकार गयी । अब भी 82 वें स्थान पर ही रह गए। आज जब समाचार पत्र में पढ़ा की भारत भ्रष्टाचार के क्षेत्र में भी पहले नंबर पर नहीं हैं तो मेरे अरमान ठन्डे हो गए लगा की सब बेकार है जितनी मेहनत हमने भ्रष्टाचार में की इतनी मेहनत अगर आचार के काम में भी करते तो पहले पायदान पर होते। मेरी समझ में ये नहीं आ रहा की आखिर ऐसा क्या करें की पहले नंबर पर आयें। इतना भ्रष्टाचार किया, चारा खाया, बोफोर्स की फ़ोर्स ख़त्म कर दी, कॉमनवेल्थ से वेल्थ गायब किया, 2 जी तो आजतक लोगों को समझ नहीं आया, कोयले से मुह काला किया, आदर्श सोसाइटी का आदर्श ही गुम किया, और तो और विदेशियों के हाथों देश को बेचने की पूरी तैयारी की है, इतना सब करने पर तो 82 वें नंबर पर आये हैं अब क्या पडोसी देशों को भी बेचें ………..! इतना ईमान हमारा अभी नहीं खराब हुआ की पहले स्थान पर आने के लिए हम अपने पड़ोसी देशों से गद्दारी करें या अन्य राष्ट्रों को नुक्सान पहुंचाएं, हम अपने देश के साथ अपने लोगों के साथ कुछ भी कर सकते हैं देश को बेच सकते हैं आम लोगों को आम की तरह चूस सकते हैं, परन्तु विदेशियों के हितों का ख़याल तो हम मुग़ल काल से करते चले आ रहे हैं उनके लिए तो पलक पावडे बिछाकर रखते हैं,
मुझे तो ऐसा भी लगता है जिस किसी ने भी ये लिस्ट तैयार की और हमारे देश को 82 वें स्थान पर रखा वो हमारे देश की महानता से चिडता है और जानबूझकर हमें पीछे रखा। वास्तव में इस लिस्ट को बनाने में भी भ्रष्टाचार हुआ है वर्ना इतना पीछे तो हम नहीं हो सकते। और तो और मुझे तो इस लिस्ट को बनाने में पाकिस्तानी षड्यंत्र की बू आ रही है भला पाकिस्तान हमसे किसी भी क्षेत्र में आगे कैसे निकल सकता है ……… चाहे एक ही पायदान पीछे क्यों न रहे परन्तु पाकिस्तान को हमसे पीछे ही रहना चाहिए था लेकिन पाकिस्तान हमसे ज्यादा भ्रष्ट राष्ट्र है ये सुनकर तो मेरा खून खौल रहा है की हम पाकिस्तान से पीछे हैं कहीं मुहं दिखाने लायक नहीं बचे, एक अदना सा देश, हम से भ्रष्टाचार में आगे निकल गया, जबकि वहां 2 जी भी नहीं हैं, और न किसी ने कोयला की दलाली में हाथ काले किये, न वहां कॉमनवेल्थ ही हुआ और न वहां आदर्श सोसाइटी है वहां के लोग तो वैसे ही मांसाहार में विश्वास रखते हैं तो चारा क्यों खाएं, हाँ बम पटाखों का उनको शौक है तो बस एक बोफ़ोर्स की उम्मीद उनसे की जा सकती है लेकिन इतना भर से वो हमसे आगे नहीं निकल सकते, जरूर कहीं गड़बड़ है। इसका पता करना होगा की इस षड्यंत्र मैं कौन कौन शामिल है
मुझे तो पूरा विश्वास है जो लोग ऍफ़ डी आई का विरोध कर रहे हैं उनकी नीयत भारत को आगे बढ़ते देखने की नहीं है वो नहीं चाहते की भारत पहले पायदान तक पहुंचे, बस विरोध करते रहते हैं एक तरफ तो कहते हैं काला धन वापस लाओ और जब लाने की व्यवस्था सरकार ने की तो उसका विरोध शुरू कर दिया, अरे समझने की बात है हर किसी को आने जाने के लिए एक सुगम सुपथ की आवश्यकता होती है, वाहनों के लिए सड़क हैं, पानी के लिए नहर, टेलेफोन के लिए 2 जी है अरे विधुत तक को आने के लिए तार चाहिए तो फिर काला धन लाने के लिए भी कोई सुपथ चाहिए की नहीं ……..! पर नहीं विरोध शुरू कर दिया अरे अगर सीधे रास्ते काला धन वापस आ गया तो हम भ्रष्टाचार में और पिछड़ जायेंगे फिर तो भ्रष्टाचारियों की बिरादरी से बेदखल भी हो सकते हैं जैसे ओलुम्पिक एसोसिअशन ने हमें बेदखल कर दिया, कहीं मुहं दिखाने लायक नहीं छोड़ा …………. ! हो न हो मुझे लगता है की ये भ्रष्टाचार वाली लिस्ट में हेर फेर विपक्ष ने ही न कराई हो।
मुझे लगता है की मैं कुछ राजनितिक हो गया हूँ इसलिए मुद्दे पर आता हूँ और मुद्दा ये है की भारत को नंबर एक पायदान पर कैसे ले जाएँ। आखिर किन नए क्षेत्रों में भ्रष्टाचार किया जाए की हम पहले पायदान तक पहुंचे। हालांकि हमने कोई संभावना तो नहीं छोड़ी है की कोई नया क्षेत्र इस कार्य के लिए मिले ………! अरे पीने के पानी तक में तो हम मिलावट करते है फिर नया भ्रष्टाचार कहाँ करैं, पानी के साथ साथ कुछ कम्पनियां तो हवा बेचकर भी पैसे बना रहीं हैं और हम हवा भी ऐसे खरीद कर ला रहे हैं जैसे कभी हवा ही न देखी हो हालांकि देखी भी नहीं है पर वो चीज भी खरीद कर ला रहे हैं जो दिखाई ही नहीं दे रही यकीन नहीं आता तो चिप्स का पैकेट खरीद लाइए 20% चिप्स और 80% हवा ही लायेंगे, बहरहाल इसमें भ्रष्टाचार नहीं वो तो दिखाकर हवा बेच रहे हैं वो तो पैकेट खोलने पर हवा दिखती नहीं इसलिए भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं।
अरे हाँ वो हवा – पानी से याद आया की गंगा की सफाई में करोड़ों खर्च हो गए पर गंगा मैली की मैली …….. ! करोड़ों अरबों खर्च करके भी स्टेटस मेन्टेन रखना कोई आसान काम नहीं हैं परन्तु ये सब हम कर प् रहे हैं क्योंकि हम भ्रष्टाचार में पारंगत हैं परन्तु आज अब कुछ नया करने की आवश्यकता है की हम अपना स्टेटस कुछ सुधार सकें और कुछ नहीं तो कम से कम पाकिस्तान से तो आगे निकल जाएँ। देश के आम लोगों पर तो मेरा विशवास अब बिलकुल नहीं बचा है की वो इस क्षेत्र में अब कुछ नया कर पायेंगे , बस देश के राजनेताओं से ही आस है वही लोग इस क्षेत्र में पारंगत हैं। कुछ नया कर सकते हैं इसलिए हमें उनके साथ सहयोग की भावना रखनी है और भ्रष्टाचार का विरोध बिलकुल नहीं करना है तभी हम पहले पायदान पर पहुँच पायेंगे,
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