लोकपाल के लिए अन्ना का अनशन, कालेधन के विरुद्ध बाबा का अनशन, भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना और बाबा का आन्दोलन, लाखों लोगों का अन्ना और बाबा को समर्थन.
आइये चलते हैं एक समाचार चेनल की ताज़ा तरीन बहस में :
ताज़ा बहस कार्यक्रम में आपका स्वागत है, मैं हूँ मुनीश कुमार और आप देख रहे हैं जनमंच न्यूज़
आज की बहस का विषय है की “क्या रामदेव (मीडिया की नज़र में “जी” शब्द लगाना उचित नहीं है और वैसे भी ये भारतीय संस्कृति का हिस्सा है ) का आन्दोलन आन्दोलन कहलाने लायक है या ये केवल भीड़ है ” और हमारे साथ हैं वरिष्ठ पत्रकार तिवारी जी, कोंग्रेस से श्यामलाल, बी जे पी से रामलाल जी, भारत स्वाभिमान पार्टी से आचार्य जी हैं अल्पसंख्यक नेता खान साहब भी हमारे साथ जुड़ गए हैं जी मेरा सवाल पहले आचार्यजी से ……..
रामदेव (“जी” नहीं) के इस आन्दोलन को किस आधार पर आन्दोलन मानते हैं भीड़ तो कहीं भी इकट्ठी हो जाती है.?
आचार्यजी (गला साफ़ करते हुए) देखिये बाबाजी ने जिन मुद्दों को लेकर पिछले पांच वर्षों से ये अभियान चलाआ हुआ था ये उसी का परिणाम है की आज लाखों लोग यहाँ एकत्र हुए हैं और …..
(बीच में काटते हुए) लेकिन रामदेव (“जी” नहीं) ने लोगों को याग के नाम पर बरगलाया उन्हें बताते थे की योग सिखायेंगे और बताया काले धन के विषय में क्या ये उन लोगों के साथ धोखा नहीं है ?
आचार्यजी ” जी बाबाजी ने ……….
(तुरंत बीच में काटकर ) जी ….! इसका मतलब आप मानते हैं की रामदेव (“जी” नहीं) ने लोगों को बरगलाया …….. रामलाल जी मेरा आप से (उधर आचार्य जी कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ये अच्छे मीडियाकर्मी की पहचान होती है की वो किसी की न सुने केवल वही सुने जिसे वो अपने न्यूज़ चेनल के जरिये पब्लिक को सुनाना चाहता है इसलिए उनके स्पीकर की आवाज कम कर दी गयी है केवल उनके होठ हिलते नज़र आ रहे हैं )प्रश्न है की क्या ये वाकई में आन्दोलन है. ……..? जबकि रामदेव (“जी” नहीं) के सहयोगी आचार्य मानते हैं की ये आन्दोलन नहीं है,
रामलाल जी : जी निश्चित ही ये बहुत बड़ा आन्दोलन है और ये सरकार बिलकुल गूंगी बाहरी और निकम्मी सरकार है ये जनता की और देखना ही नहीं चाहती घोटालों में घिरी हुई है ये भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं करना चाहती …………!
बीच में काटकर )श्यामलाल जी आप बताइये की क्या सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये ने इस भीड़ को आन्दोलन का रूप दे दिया है……..!
श्याम लालजी….! देखिये ये आन्दोलन वन्दोलन कुछ नहीं है ये तो विपक्ष की चाल हैं और इस भीड़ में आर एस एस के लोग घुसे हुए हैं जिन्होंने दिल्ली को जाम कर दिया है आम जन को इससे परेशानी हो रही है
( बीच में काटकर ) नहीं आप ये बताइये की सरकार उनकी बात मान क्यों नहीं लेती क्या उनकी बातें गलत हैं……..
श्यामलालजी : ये सरकार कोई कमजोर सरकार नहीं है की कोई भी आकार यहाँ भीड़ इकट्ठी करके सरकार को ब्लैक मेल करे ……..! वास्तव में ये विपक्ष के भड़काए हुए लोग है जो देश में अराजकता फैला रहे हैं
( नीचे क्लीपिंग आ रही है की “मुंबई में भीड़ ने हिंसा और आगज़नी की”, लोकल बसों में तोड़फोड़ की, दो की मृत्यु, भीड़ बांग्लादेशियों का समर्थन रही थी, पाकिस्तानी झंडे फहरा रही थी)
(बीच में काटकर) जी बिलकुल रामदेव (“जी” नहीं) भीड़ इकट्ठी कर अराजकता फैला रहे हैं लाखों लोगों ने दिल्ली को बंधक बना लिया है, मैं तिवारी जी से जानना चाहूंगा की उनकी इस रामदेव (“जी” नहीं) की रामलीला पर क्या राय है
तिवारी जी ( एक बुद्धिजीवी की शक्ल बनाकर, दाढ़ी खुजलाते हुए ) देखिये वास्तव में मैं रामदेव की इस रामलीला को महज एक पब्लिसिटी स्टंट समझता हूँ, (मुहं टेढ़ा करके ) ये रामदेव जी की राजनीति में आने की महत्वाकांक्षा ही है वर्ना एक योग गुरु को राजनीति से इन मुद्दों से क्या काम ……. निश्चित ही स्वामी रामदेव ने लाखों लोगों को दिल्ली में इकठ्ठा कर अराजकता फैलाई है
( नीचे क्लीपिंग आ रही है ” मुंबई में अल्पसंख्यकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन से अचानक हिंसा भड़क उठी “)
बहस में बैठे हुए अल्पसंख्यक नेता खान साहब कुछ कहने के लिए ऊँगली उठा रहे हैं
जी बिलकुल खान साहब में आपकी तरफ ही आ रहा हूँ,………. !(वो शांत हो जाते हैं ) समयाभाव के कारण हम इस मजेदार बहस को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं लेकिन क्या ये वाकई में आन्दोलन है ये कहना मुश्किल क्योंकि रामदेव (“जी” नहीं) के सहयोगी भी इसको पूरी तरह आन्दोलन नहीं मानते जहां तक बी जे पी का प्रश्न है वो खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है इसलिए वो भी इस आन्दोलन को आन्दोलन नहीं मानती …….. ( सभी लोग कुछ बोल रहे हैं लेकिन उनके स्पीकर की आवाज़ बंद कर दी गयी है )
ताज़ा बहस में आज बस इतना ही देखते रहिये जनमंच न्यूज़
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