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सुभाष चन्द्र बोस का नया पैंतरा – अंतिम भाग

JANMANCH
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गतांक से आगे ………..

आप ये आंसुओं की नदीं देख रहे हैं ……… ये जितनी आत्माओं के आंसूं हैं,  वो सभी आत्माएं अभी भी जिंदा हैं उन सबके दिल धडकते हैं आज भी अपने देश के लिए ……..! “वो इस जिन्दा इंसान की मृत आत्मा की तरह नहीं हैं” उन्होंने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा ” जिसके दिल ने धडकना छोड़ दिया हो जिसके आंसू सूख चुके हों जिसकी सोच तक गुलाम हो ……….! मैं इन सब आत्माओं की नयी फौज बनाऊंगा ………..!
बापू …… थोडा चोंकते हुए बोले……… ” आत्माओं की फौज ……….!”

हाँ……… आत्माओं की फौज, और मुझे पता है ये सारी आत्माएं मेरा साथ देंगी  और मुझे विश्वास है बापू की इस बार आप भी मेरा साथ दोगे..!

बापू ने कुछ क्षण के लिए चुप्पी साध ली ………… फिर थोडा मुस्कराते हुए बोले… ” तो मुझे क्या करना होगा कमाण्डर………..!”
आपका तो आशीर्वाद चाहिए…….!

तभी कुछ कोलाहल सा सुनाई दिया ………! मैंने देखा नदी के पास भीड़ एकत्र हो गयी है कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी हैं…..
पहला …..” पता नहीं कहाँ से ये रातों रात खारे पानी की नदी आ गयी.
दूसरा …….” हाँ लगता है किसी नदी की धारा इस तरफ मुड़ गयी है.
पहला ……” तो फिर पानी खारा कैसे हो गया ”
तीसरा …….” मुझे तो इसमें किसी की चाल लगती है”
दूसरा ………” अरे जिस जिस ने ये खारा पानी चखा उन्हें कुछ हुआ तो नहीं……
तीसरा …… ” सब ठीक हैं किसी को कुछ नहीं हुआ……. पर ये आया कहाँ से.
पहला ……..” मुझे तो इसमें पाकिस्तान या चीन का हाथ लगता है.
दूसरा ………” अरे छोडो जिसका भी हाथ है ….. मैं तो आज ही नमक बनाने की फैक्ट्री डालता हूँ.

इस तरह की चर्चा सुनकर ………..

कुछ आत्माएं व्यथित हुईं…….. भगत सिंह भी जो अब तक न जाने किस कोने में थे, आकर बापू से बोले………..” देखा बापू अब हमारे आंसुओं का नमक बनाया जाएगा …….. हमारे ही जख्मों पर छिड़कने के लिए…..
उत्तर बापू के स्थान पर आज़ाद ने ठहाका लगाते हुए दिया ” चिंता न करो भगत अच्छा ही है क्या पता इस नमक को खाकर इन लोगों के खून में नमक हलाली आ जाए “……! फिर वो सुभाष बाबू से बोले ” नेताजी आप फौज बनाइये ………. और यकीन जानिये जब तक मेरी आत्मा यहाँ है हमारी फौज हर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखायेगी………. !
और फिर फौज का निर्माण हो गया निर्णय हुआ की सारी आत्माएं संसद सत्र के दौरान इन नेताओं के अन्दर घुस जायेंगी और देश हित में निर्णय लेने के लिए इन नेताओं को मजबूर कर देंगी.

संसद भवन

लोकपाल बिल पर गर्मागर्म बहस चल रही है, पक्ष विपक्ष एक दुसरे पर आरोप लगा रहे हैं की अचानक मौसम बिगड़ गया बाहर जोरों की हवा चलने लगी ……….. जैसे तूफ़ान आ गया हो ……. कर्मचारी इधर उधर भागने लगे संसद भवन की खिड़कियाँ के शीशे टूट गए……….. और इस से पहले की सभी सांसद कुछ समझ पाते ………. हवा बंद हो गयी.   तूफ़ान थम गया ……………
जो विपक्षी सांसद जोर जोर से आरोप लगा रहे थे वो फिर खड़े हुए ………की तभी माननीय प्रधानमंत्रीजी ने पहली बार कुछ बोलने की हिम्मत की….” सरकार को लोकपाल के मुद्दे पर विपक्ष के सभी प्रस्ताव मंजूर हैं और टीम अन्ना के भी सभी मान लिए गए हैं.
आश्चर्य किसी ने कोई विरोध नहीं किया सभी ने मेज थपथपाकर प्रधानमन्त्री के व्यक्तव्यों का स्वागत किया …….. फिर प्रधानमन्त्री ने काले धन की वापसी के लिए भी प्रस्ताव रखा जो सहर्ष स्वीकार कर लिया गया ……. एक एक कर प्रधानमन्त्री ने देशहित में फैंसले लेने शुरू किये और सभी पक्ष विपक्ष द्वारा मान लिए गए तभी संसद के तथाकथित आरोपी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष अपने इस्तीफे रखे तथा अपने अपराध स्वीकार करते हुए गिरफ्तारी दी …………..!

सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे देश में राम राज्य आ गया हो. ……… ! मिडिया पर कोई मसालेदार खबर नहीं थी इसलिए समाचार चैनल भी भजन ही सुना रहे थे. और सबसे बड़ी बात ये की मिडिया भी सच को सच ही बता रहा था.

मैं तो जानता ही था की आखिर ये सब क्या हो रहा है ये सब इतनी जल्दी हुआ की घंटे भर में ही देश की कहानी बदल गयी………..! इसका अर्थ ये था की आत्माओं ने एक साथ पूरे देश के शाषक प्रशाषक अपने अधिकार में ले लिए थे ……….! दोपहर तक खबर आई की कश्मीरी आतंकवादियों ने आत्म समर्पण कर दिया है नक्सली मुख्या धारा में जुड़ गए हैं………! पाकिस्तान फिर से भारत से जुड़ना चाहता है साम्प्रदायिकता का बुखार लोगों के दिलोदिमाग से उतर चुका है………! आरक्षण अपने लिए आरक्षण मांग रहा है ………..! लोग सभ्य आचरण कर रहे हैं, स्त्रियों का सम्मान कर रहे हैं और पुलिस वाले आराम से सो रहे हैं (क्योंकि कोई काम नहीं है)
सारे देश की दशा दिशा बदल चुकी थी और अभी रात भी नहीं हुई थी ………..!

आज देश में कोई भूखा नहीं सोयेगा……….! ( मुझे फिर से सुभाष बोस की आवाज सुनाई दी ) कोई नंगा नहीं रहेगा लीजिये बापू ……..”( वो बापू से कह रहे थे) आज से आप इस लंगोटी में नहीं रहेंगे……..! आप भी पूरे कपडे पहनेंगे ………! और ये कहते हुए उन्होंने चांदनी से सफ़ेद  धोती कुर्ता  निकाल कर बापू को दिए.

बापू की आँखों में आंसू छलछला आये वो बोले “काश की मैंने पहले तुम्हारा विरोध न किया होता……..!” इतना कहकर उन्होंने सुभाष बाबू की आत्मा को अपने गले से लिपटा  लिया…… तभी एक आत्मा उछलती कूदती गाती ……. वहां आई और उसने बापू के पैर छुए ……! बापू ने धीरे से उस आत्मा के सर पर हाथ रखते हुए पूछा ……” क्या हुआ नाथूराम ?” इतना उछल क्यों रहे हो………!
वो नाथूराम गोडसे की आत्मा थी , वो बोले ” बापू आज मैंने आपके दूसरी बार पैर छुए हैं पहली बार जब जब आपके शरीर को गोली मारी थी…….. तब से आज तक मैं कभी अपने आप को सही ठहराता तो कभी गलत …… लेकिन एक शंका हमेशा रही की मेरी अस्थियाँ, जो आज तक मेरे छोटे भाई के यहाँ इस इंतज़ार में रखी हैं की कब भारत पाकिस्तान एक हों और कब उन्हें सिन्धु नदी में बहाया जाए……. उनको बहाने का समय आ गया है इसीलिए आज मैं प्रसन्न हूँ और अपने कृत्य के लिए आपसे क्षमा मांगता हूँ………!

नहीं नाथूराम तुम्हे माफ़ी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं……..! उस समय वो गोली भी बहुत जरूरी हो गयी थी तुमने तो वो काम किया जो अर्जुन ने भीष्म के साथ किया था ………! मैं चाहकर भी सब कुछ सही नहीं कर पा रहा था …….. तुम्हारी गोली बिलकुल ठीक थी…………..!

तभी आकाश मैं एक तेज प्रकाश दिखाई दिया ……. इतना तेज़ की मेरी तो आँखें चुंधिया गयीं ……. लेकिन सभी आत्माएं उस प्रकाशपुंज को भली प्रकार देख पा रहीं थीं ………! फिर उस तेज प्रकाशपुंज ने एक एक कर सभी आत्माओं को अपने में समाहित कर लिया ………….!

रात के बारह बजे थे मैं अकेला ही सड़क पर विचरण कर रहा था सभी आत्माएं परमात्मा में विलीन हो चुकी थीं, उन्होंने वो सब कर दिया था जो इतने वर्षों से हम करना चाह रहे थे. यदि वास्तव में इतने वर्षों से हमने ज़रा भी उनके सपनों का मान रख कर देश हित में सोचा होता तो इतने दिन तक उनकी आत्मा को यूँ विचरना न पड़ता …….. उनकी आत्मा यूँ अशांत न घूमती …….. सब हमारे निजी स्वार्थों का ही दोष है जो हमने अव्यवस्था पनपने दी…..! मैं विचारों में मग्न यूँ ही चलता चला जा रहा था की तभी उझे दो पुलिस वालों ने रोका और एक ने पूछा ……” ए इतनी रात को कहाँ घूम रहा है………..! मैं अचेतन सा उनकी तरफ देखने लगा ………. ! वो बोले अबे देखता क्या है ……. कहाँ से आ रहा है ……. चोर है क्या……… दूसरा बोला ….” तलाशी लो    स सा………. की  ……..” मैं बोला  अरे साहब अब चोर कहाँ बचे हैं …….. सुबह से अब तक सारा देश तो सुधर चुका है……….. ! सिपाही बोला अबे पागल है क्या ……….!  मैंने कहा क्या भाई साहब ……. मैं चोर होता और आपको पता न होता……. ! और आप इतनी रात को ड्यूटी दे रहे हो इसका मतलब ज़माना बदल चुका है………  दूसरा सिपाही बोला अबे ये तो कोई पागल लगता है………..! चल छोड़ किसी और को पकड़ते हैं……. वो दोनों चले गए ……… मुझको झटका सा लगा …………………..! तो क्या परिस्थितियाँ ज्यों की त्यों हैं ……… कोई परिवर्तन कहीं नहीं हुआ है……… यानी पूरे दिन जो कुछ हुआ वो सब मेरे मन का वहम था ………. नहीं वो वहम नहीं था मैं अब इस भ्रष्टाचारी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाऊंगा ……… लोगों को जगाऊंगा ………. नहीं  अब कोई काम राष्ट्रविरोधी नहीं होगा ……….!
……………. मेरे विचारों के साथ ही मेरे आंसू भी निकल रहे थे…………… तभी …… जोर दार बिजली कडकने के साथ बारिश शुरू हो गयी  बारिश का पानी मुझे खारा सा लगा,  मैंने सिर उठाकर आकाश की तरफ देखा …….. बारिश तेज़ थी बादलों में मुझे सुभाष चन्द्र बोस की छवि दिखाई दी …….. मैंने आँख रगड़कर दुबारा देखा ……. अबकी बार गांधी ….. आज़ाद……… भगत……….आई पी एस नरेन्द्र कुमार ……. असंख्य चेहरे मुझे बादलों में नज़र आने लगे …… जो लगातार घुमड़ घुमड़ कर अश्रु वर्षा कर रहे थे ……….

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