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जंगल में जंगलराज

JANMANCH
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प्राचीन काल की बात है जैसे जैसे धीरे धीरे मानव ने विकास किया उसी प्रकार जानवरों ने भी विकास में योगदान किया परन्तु ” शेर ” सभी जानवरों में न केवल ताकतवर था बल्कि चपल और चालाक भी था और अपनी इसी योग्यता के बल पर वो जंगल का राजा बन बैठा. समय बीतता गया और शेर ने जंगल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जंगल के नियम क़ानून बनाए जंगल की सुरक्षा की व्यवस्था की. समय बीतता गया और जानवर शेर के राज के आदि हो कर एक व्यवस्था के आधीन रहने लगे.


समय बदला और जंगल में जागरण काल आया. कुछ जानवरों ने शेर के शासन के विरुद्ध लोकतंत्र का समर्थन किया लेकिन ये केवल सुगबुगाहट ही थी किसी की हिम्मत शेर से बात करने की नहीं हुई………! बात हाथी को पता चली और वो जंगल के राजा के समक्ष पहुंचा, सारी बात शेर को बतायी और जंगल की व्यवस्था के विषय में नए सिरे से सोचने के लिए और थोड़ी सहिष्णुता बरतने के लिए कहा……..! शेर को भी हाथी की बात जमीं और नए नियमों के तहत सभी जानवरों को आज़ादी दी गयी शिकार करने के भी नीयम बना दिए गए. जानवर स्वछंद विचरण करने लगे और नए नियमों के तहत जानवरों ने पेट भरने के अतिरिक्त केवल शौक के लिए शिकार करने पर रोक लगा दी………..! सभी जानवर खुश हो गए…………!


समय बीता और जानवरों में फिर ज्ञान की वृद्धि हुई ……. कुछ जानवरों ने आरोप लगाया की जब जंगल में शेरों की संख्या सबसे कम है तो वो राजा कैसे बन सकता है ……… ! राजा वो होना चाहिए जिसकी संख्या सबसे ज्यादा है ……! बात फिर शेर के कान में पहुंची शेर ने फिर हाथी से सलाह की ………… ! और क़ानून में संशोधन किया की अब जंगल में एक मंत्री मंडल बनेगा और शेर सर्वसम्मति से ही फैंसला लेगा…….! जानवर खुश हुए लेकिन कुछ बुद्धिजीवी जानवरों ने फिर से आवाज़ उठायी की हमें अपने राजा को चुनने का अधिकार मिलना चाहिए…….! बात फिर शेर के कानों में पहुंची,  शेर ने कहा ठीक है आप अपना राजा चुन लीजिये और मैं त्यागपत्र दे देता हूँ.


जानवरों ने नया राजा चुनने के लिए मीटिंग बुलाई और हाथी को राजा बनाना चाहा,  लेकिन हाथी ने राजा बनने से इनकार करते हुए कहा की मैं अपने अत्यधिक बड़े शरीर के कारण फुर्ती से काम नहीं कर पाता हूँ अतः किसी और को राजा बना लो……!  तब सभी लोगों ने सर्वसम्मति से बन्दर को राजा चुना वो बहुत बुद्धिमान होता है फुर्तीला होता है और स्वतंत्रता प्रेमी भी होता है……..


बन्दर को जंगल का राजा बना दिया गया और उसको राजा का मुकुट पहना दिया गया, मुकुट मिलते ही बन्दर उसे उछाल – उछाल कर खेलने लगा और बारी बारी सभी बन्दर मुकुट पहन कर देखने लगे. बन्दर ने व्यवस्था में फिर परिवर्तन किया और जानवरों को पूर्ण स्वतंत्रता दे दी तथा जंगल के कानूनों में ढील देते हुए मौज मस्ती के लिए भी शिकार की छूट दी, मंत्री परिषद् में सभी मंत्रीपद  बंदरों को दे दिए …..! अब आये दिन जानवरों में झगडे हो जाते …… वो बन्दर राजा के पास जाते …….. बन्दर राजा अपनी बुद्धि से उन्हें सुलझाते ………! उधर भूत पूर्व राजा शेर पुराने नियमों के हिसाब से शिकार नहीं कर पा रहा था क्योंकि पुराने नीयमों के तहत उसे पेट भरने के लिए निश्चित समय पर शिकार मिल जाता था लेकिन अब बन्दर राजा द्वारा दी गयी ढील के कारण जानवरों ने शेर के पास भोजन पहुंचाना बंद कर दिया, इसलिए शेर ने भी नए नियमों का फायदा उठाने की सोची और एक खरगोश के बच्चे को पकड़ लिया ……… खरगोश दौड़कर बन्दर राजा के पास फ़रियाद लेकर पहुंचा …… बन्दर ने खरगोश को दिलासा दी और उसके साथ शेर के पास गया …….. उसने शेर को घुड़की दी और पेड़ पर चढ़ गया फिर बार बार घुड़की देकर एक पेड़ से दुसरे पेड़ पर कूदने लगा इस बीच खरगोश ने बन्दर राजा को कुछ ठोश प्रयास करने को कहा, लेकिन बन्दर शेर को बार बार घुड़की देता और पेड़ पर चढ़ जाता…….! अंत में शेर खरगोश के बच्चे को खा गया.


खरगोश ने मंत्री परिषद् में बन्दर राजा की अयोग्यता के विषय में बताया………… बन्दर राजा ने कहा  ” यदि खरगोश ये कह दे की इसके बच्चे को बचाने में मैंने कोई कम “भागदौड़” की है तो में अभी त्यागपत्र दे दूंगा मैंने तो उसे बचाने में पूरी भाग-दौड़ की लेकिन मरना जीना तो सब प्रभू के हाथ है.” खरगोश ने माना की हाँ बन्दर राजा ने भागदौड़ तो बहुत की थी……..! इसलिए बन्दर ने त्यागपत्र नहीं दिया. लेकिन कुछ बुद्धिजीवीयों को बंदर राजा की  ये बात हज़म नहीं हुई और फिर से जंगल में लोकतंत्र की मांग उठी ……..! बन्दर राजा को भी बात माननी पड़ी और जंगल में चुनाव की तिथि घोषित हो गयी.


जंगल के कुछ जानवरों ने अपने पुराने राजा को ही चुनाव में खड़े होने के लिए मनाया …….. खरगोश वाली वारदात के बाद से सब लोगों को बन्दर की अयोग्यता पता भी चल गयी थी……..! शेर का चुनाव में जीतना तय था लेकिन बन्दर बहुत चालाक था उसने हिसाब लगाया की जंगल में कौन कौन से जानवरों की कितनी संख्या है ……. तो पाया की जंगल में हिरन, गीदड़, भेड़िया, लोमड़ी आदि की संख्या अधिक है और यदि इन का साथ मिल जाए तो वो पुनः राजा बन सकता है …….. खरगोश बिरादरी ने शेर का साथ देने की सोची थी……..! चुनाव का रंग पूरे जंगल में चढ़ चुका था चुनाव तिथि से एक दिन पहले बन्दर ने घोषणा की, ” कि यदि वो चुनाव जीतता है तो मंत्री परिषद् में बंदरों के साथ हिरन, गीदड़, भेड़िये, और लोमड़ी को भी मंत्री बनाएगा ………..! घोषणा ने काम किया और बन्दर को फिर से राजा चुन लिया गया .


नई सरकार में भेड़िये और लोमड़ी ने मंत्री बनते ही जानवरों को परेशान करना शुरू कर दिया, लोमड़ी आम जानवरों को लूटने लगी और भेड़िया अपनी ताकत से जानवरों  को आतंकित करने लगा….. शिकायत फिर बन्दर राजा के पास पहुंची बन्दर ने थोडा दमखम दिखलाते हुए लोमड़ी को फटकार लगाई तो लोमड़ी ने गीदड़ को राजा के विरुद्ध भड़काया की राजा “ताकतवर” से डरता है और हम तुम जैसे “कमजोर” प्राणियों को  डांटता है….. ! गीदड़ बहकावे में आ गया और दोनों ने मिलकर राजा के विरुद्ध असहयोग की घोषणा कर दी और सारे जंगल में राजा की अयोग्यता  को बतलाया……..! जंगल में फिर चुनाव की घोषणा हुई और फिर से चुनाव की तिथि निश्चित हो गई. इस बार चुनाव में लोमड़ी भी खड़ी  हो गई…… ! बन्दर, शेर और लोमड़ी के बीच रोमांचक मुकाबला होना था …… लोमड़ी के साथ गीदड़ थे.  इस बार शेर के जीतने के ज्यादा अवसर थे…. लेकिन बन्दर ने फिर पैंतरा बदला और घोषणा की “कि मैं यदि चुनाव जीतता हूँ तो पुरानी व्यवस्था को आगे बढ़ाऊंगा तथा जिन जानवरों की संख्या जंगल में दस प्रतिशत से कम है उनको जंगल में पूर्णतः स्वतंत्रता दी जायेगी यदि कोई जानवर उन दस प्रतिशत जानवरों का शिकार करेगा अथवा उनको नुक्सान पहुंचाएगा तो उसे जंगल से बाहर निकाल दिया जाएगा ………! चुनाव हुआ बन्दर फिर चुनाव जीत गया क्योंकि १० प्रतिशत कमजोर जानवरों ने शेर की ताकत पर भरोसा करने के स्थान पर बन्दर की घोषणा पर ज्यादा विश्वास किया ……..!


अब जंगल का माहौल पूरी तरह बदल चुका था जिन जानवरों की संख्या १० प्रतिशत से कम थी अब वो अपनी आज़ादी का फायदा उठाने लगे थे वो जंगल में किसी भी जानवर को कुछ भी कह देते या परेशान करते लेकिन कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता, इस समस्या को सुलझाने के लिए भेड़ियों ने घोषणा की की यदि वो दस प्रतिशत जानवर चुनाव में भेड़ियों का साथ दें तो वो उनके प्रतिनिधियों को मंत्री बनाएगा…….! कुछ जानवरों ने शेर को समझाया की वो भी कुछ इस तरह की घोषणा करे वर्ना फिर गड़बड़ हो जायेगी ………! शेर ने घोषणा करी ” कि मैं सभी कमजोर और निरीह प्राणियों की रक्षा करूंगा “…………..! बन्दर राजा चालाक था उसने जगह जगह कहना शुरू किया की जो शेर खुद ही कमजोर जानवरों को मारकर खा जाता हो वो क्या रक्षा करेगा वो तो राजा बनते ही सब को मार कर खा जाएगा……..! फिर चुनाव तय हुए, अबकी भेड़िया, लोमड़ी, बन्दर और शेर फिर खड़े हुए ……… ये समझ नहीं आ रहा था की कौन जीतेगा……..! सभी अपनी अपनी बात जानवरों को समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सभी जानवरों को अपने अपने समाज की चिंता थी. बन्दर ने फिर चाल चली और घोषणा   करी की “कि वो जंगल के क्षेत्र को इस हिसाब से बांटेगा की जिस क्षेत्र में जो जानवर ज्यादा हैं उस क्षेत्र से उन्ही जानवरों का प्रतिनिधि हो, तथा उनके क्षेत्र में विकास के काम उनकी पसंद से किये जा सकें. बन्दर की चाल किसी जानवर की समझ में नहीं आई और सभी ने इस बीच उसे भरपूर समर्थन दिया……………….! शेर फिर हार गया .


अब जंगल में क्षेत्रवाद बहुत बढ़ गया था जिस क्षेत्र में नदी आती थी वहां के जानवर अन्य जानवरों से जल कर लेने लगे ……. ! सारी व्यवस्था क्षेत्र के हिसाब से बंट गई……….! जंगल की व्यवस्था बिगडती चली जा रही थी जानवरों की हर बार अपनी पसंद की सरकार होती लेकिन फिर भी हर बार मायूसी ही हाथ लगती ………. कोई भी नहीं चाहता था की बन्दर राजा बने सबकी अंतर्मन की इच्छा थी की शेर फिर से जंगल का राजा हो लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा था, और शेर निरंतर हारता जा रहा था…… शेर को निरंकुश, खतरनाक, कमजोरों को सताने वाला घोषित कर दिया गया था………! जंगल पूरी तरह बदल चुका था ……. जंगल में अब जंगलराज आ चुका था.

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