अब राहुल जी पर जूता……..मेरे विचार में ये कोई गलत बात नहीं, लेकिन गलत बात ये है की जो लोग जूते, चप्पल, स्याही आदि फेंकते हैं उन बेचारों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है. ये लोकतंत्र है यहाँ सबको अधिकार है की अपने तरीके से अपनी बात कहें परन्तु किसी को कोई नुक्सान नहीं होना चाहिए . अब बताइये किसी के ऊपर जूता उछालने से किसी का क्या नुक्सान….? किसी की टांग टूट गयी या आँख फूट गयी, अरे जूता टकराया और गिर गया ये कौन सा दफा ३०७ का अपराध हो गया की उठाया और बंद कर दिया परन्तु इस लोकतंत्र का दुर्भाग्य देखिये की इस लोकतंत्र के लोक को इतनी भी आज़ादी नहीं की वो अपने मन चाहे स्थान पर जूता या अपनी मनचाही वस्तु फेंक सकें . अब इस बात को लेकर इन नेताओं से पंगे कौन ले, पता चला मेरे ही घर सी. बी. आई. पहुँच गयी की तुमने जूता घोटाला किया है……..! बेचारा जो बोलेगा वही फसेगा……
पर देखिये मैं ठहरा सच्चा लोकतंत्री व्यक्ति ऐसे कैसे सहन कर सकता हूँ की कोई लोकतंत्र का मखौल उडाये और मैं खड़ा खड़ा देखता रहूँ….. तो मैंने एक स्वयंसेवक संगठन बनाने की सोची है जो इसी तरह के कार्य करेगा जैसे कहीं जूता फेंकना है स्याही फेंकनी है टमाटर फेंकने हैं…….यानी की लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज कराना है. आप में से कुछ लोग जानना चाहेंगे की जूता मारना लोकतांत्रिक कैसे ..? मुझे पता है की बुद्धिजीवी तो हर जगह मौजूद हैं जो कुछ भी नया करने से पहले टांग जरूर अड़ाते हैं मेरे भी संगठन के विषय में उल्टा सीधा लिखेंगे तो मैं स्पष्ट किये देता हूँ जो लोक (देश की जनता में से कोई भी व्यक्ति ) तांत्रिकों की तरह जूता मारता है (जैसे तांत्रिक भूत भगाने के लिए जूता या कुछ भी मारता है ) उसे लोकतांत्रिक तरीका कहते हैं शायद सभी बुद्धिजीवी लोग समझ गए होंगे और अब अपनी जिव्या और कलम दोनों को आराम ही देंगे. बहरहाल में अपने स्वयंसेवी संगठन की बात कर रहा था ये बुद्धिजीवी बेकार गले पड़ गए. तो मेरे संगठन में उन सभी स्वयंसेवक बंधुओं का स्वागत है जो इस कला में पारंगत हैं यानी किसी के ऊपर जूता कैसे फेंकते हैं, परन्तु विशेषता ये होनी चाहिए की जूता फेंकने वाला किसी भी सूरत में पकड़ा नहीं जाना चाहिए यानी जूता या कोई भी वस्तु इतनी सफाई के साथ फेंकनी है की किसी को पता ही न चले की जूता चला कहाँ से……..! बस निशाने पर लगने के बाद ही पता चले की जूता चला…….! (इस बात की आप चिंता न करें की पुलिस किसी को भी पकड़ने की कोशिश करेगी क्योंकि ये पुलिस के लिए बहुत मेहनत का काम होगा और आप सब तो जानते ही हैं की ……)
इस संगठन की शाखा हर शहर में खोली जायेगी, ये संगठन उन लोगों के लिए काम करेगा जिन्होंने किसी भी व्यक्ति, संगठन, सरकार आदि के किसी भी कार्य के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज कराना है अब में इस संगठन के फायदे बताता हूँ. क्योंकि मुझे पता है इस लोकतंत्र के लोग वो काम नहीं करते जिसमें फायदा न हो इसलिए संगठन के फायदे गिनाये बिना कोई इसे ज्वाइन नहीं करेगा तो इसके फायदे ही फायदे हैं सबसे पहला तो यही की कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी अपने मन की मुराद पूरी कर सकता है जिसकी केवल हसरत ही रही हो किसी नेता को टमाटर मारने की वो हमारे संगठन के ज़रिये अपनी हसरत बिना किसी डर के पूरी कर सकता है. दूसरा फायदा बिना सार्वजानिक उपस्थिति दिखाए भी व्यक्ति,संगठन, सरकार और नेता के विरुद्ध अपना रोष प्रकट कर सकता है. जूता फेंकने वाला और न ही फिकवाने वाला गिरफ्तार हो पायेगा.. जो स्वयंसेवक लम्बी दूरी से जूता फेंकने में पारंगत होंगे उन्हें डिस्कस थ्रो, जेब्लिन थ्रो आदि का अभ्यास कराकर ओलम्पिक खेलों में भेजा जाएगा, ओलम्पिक में मेडल जितने के बाद सरकारी नौकरी दी जायेगी, इसलिए सरकारी नौकरी पाने के लिए लोकतंत्र की हित में कार्य करें और मेरे इस जूता मारने वाले संगठन में स्वयंसेवक बनें. एक महत्वपूर्ण बात ये की जूता हमारा संगठन मारेगा और नाम आर.एस.एस. का होगा. हम पर आंच तक नहीं आएगी.
हमारा संगठन जूता फेंकने जैसी घटना को अंजाम तभी देगा जब जूते फिकवाने वाला व्यक्ति उचित कारण बतायेगा, उचित अनुचित के विषय में हमारा संगठन एक समिति बनाएगा और वही फैसला लेगी की जूता फेंकने का कारण उचित है लोकतांत्रिक है और लोकतंत्र के हित में है यदि समिति जूता फेंकने के कारण से सहमत नहीं है या जूता मारने से लोकतंत्र का कोई फायदा होने की संभावना नहीं है तो जूता नहीं फेंका जाएगा. साथ ही केवल ऐसी ही वस्तुएं फेंकी जायेंगी जो केवल विरोध दर्शायें न की चोट पहुंचाएं जैसे जूते, चप्पल, टमाटर, स्याही, अंडे, कीचड आदि. यदि कोई व्यक्ति या संगठन अपने स्वयं के ऊपर कुछ फिकवाता है तो उसके लिए किसी उचित अनुचित कारण की आवश्यकता नहीं होगी. हम अपना विरोध पत्र जूते के अन्दर ही रख देंगे अथवा टमाटर, अंडे आदि पर लपेट कर फेंकेंगे ……….! एक विशेष बात ये की जूता हम व्यक्ति और संगठन के महत्त्व को देखते हुए प्रयोग करेंगे जैसे लोकल नेता तो लोकल जूता, बड़ा नेता तो बड़ी कंपनी का जूता जैसे लिबर्टी, रेड चीफ आदि और इम्पोर्टेड नेता तो तो इम्पोर्टेड जूता ……….! जिस से किसी को जूता खाने के बाद हीन भावना महसूस न हो और ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, देशी-विदेशी का भेद बरकरार रहे.
वास्तव में, जब से राजनीति मेंजूतों का महत्त्वबढ़ा है तभी से जूतों के दाम भी बढ़ गए हैं परन्तु हमारी सरकार तो महंगाई के मुद्दे से वैसे ही विमुख है और सरकार के इसी विमुखता के कारण लोग जूते इत्यादि फेंकने लगे की सरकार का ध्यान जूतों के बढ़ते मूल्य की तरफ जाए लेकिन सरकार नहीं चेती तो लोगों ने सरकारी गैर सरकारी लोगों पर जूतों का बहुतायत में प्रयोग शुरू कर दिया लेकिन वास्तव में उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि जूता फेंकने वालों को पुलिस ले जाती और जूता जाता सो अलग . सरकार की इन्ही दमनकारी नीतियों की वजह के कारण ही मुझे इस स्वयंसेवी संगठन के गठन की आवश्यकता पड़ी बताइये आम जनता विरोध करे तो कैसे करे, ये सांसद तो संसद में बैठकर एक दुसरे की गलबहिया करके विरोध विरोध की राजनीति खेलते हैं पर इस लोकतंत्र का बेचारा लोक कहाँ जाए संसद में घुसने नहीं देते अरे जब आतंकवादी नहीं घुस पाए तो आम आदमी क्या चीज़ है और जो बेचारा इधर उधर जूता मारकर विरोध दर्ज कराता है तो उसे पुलिस उठा लेती है …………! इस तंत्र के लोक का गला घोट कर लोकतंत्र को मारा जा रहा था, इसलिए इस तरह के संगठन के निर्माण की बात मेरे दिमाग में आई है बस नाम समझ नहीं आ रहा है आप लोगों से अनुरोध है की कृपया कोई अच्छा नाम सुझाएँ और संगठन के निर्माण और उत्थान के सन्दर्भ में अपने विचार प्रकट करें.
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