शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की क्या प्रासंगिकता है?
JANMANCH
75 Posts
1286 Comments
पिछले दिनों मैं अपने एक पुराने सहपाठी से मिला. मैं बहुत सालों बाद उस शहर में गया था अपने एक मित्र के यहाँ, क्योंकि उसकी माताजी का अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण स्वर्गवास हो गया था…..! मेरा मित्र कोचिंग क्लासेस चलाता है और उस शहर में गणित का माना हुआ टीचर है, परन्तु दुर्भाग्यवश उसकी कहीं जॉब नहीं लगी हालांकि वो बहुत होशियार था और बोर्ड परीक्षाओं में उसने स्कूल में टॉप भी किया था जबकि गणित में तो उसके जिले में सबसे ज्यादा नंबर थे…….! और अब में उस सहपाठी के विषय में बताता हूँ जिस से मैं अचानक टकरा गया वो अब उसी स्कूल में अध्यापक हो गया है जिसमें कभी हमने साथ में शिक्षा पायी थी…….! वो पढने में कितना तेज़ था इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है की हमेशा ग्रेस के नम्बरों से पास हुआ….! अक्सर सजा भी मिल जाया करती थी, उसकी विद्धता के कारण……! स्कूल की किसी एक्टिविटी में उसका कोई योगदान नहीं था. अब वो छात्रों को पढ़ा रहा है…….! अब आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं की जो व्यक्ति अपने विद्यार्थी जीवन में अपने समकालीन छात्रों से कहीं ज्यादा पीछे रहा हो और वही आज के छात्रों को पढाये तो फिर आज के उन छात्रों का भविष्य क्या होगा जो उस से पढ़ रहे हैं…….? उन छात्रों के भविष्य के साथ मज़ाक किया जा रहा है और छात्रों के भविष्य के साथ मज़ाक किया है हमारी आरक्षण व्यवस्था ने …….! सिर्फ आरक्षण के कारण वो व्यक्ति एक स्कूल में शिक्षक बन बैठा है और सिर्फ आरक्षण के कारण ही वो व्यक्ति जो की आज के छात्रों के लिए वरदान हो सकता था घर पर रहकर ट्यूशन पढ़ाकर जीवन यापन कर रहा है……..! ऐसी स्थिति केवल एक स्कूल अथवा व्यक्ति की नहीं है बल्कि हर शिक्षण संस्थान का यही हाल है.
आज उस स्कूल में नए छात्र एडमिशन नहीं लेना चाहते क्योंकि उनका मानना है की शिक्षक अच्छे नहीं हैं और किसी जमाने में बच्चे सबसे पहले उसी स्कूल में एडमिशन चाहते थे क्योंकि सबसे अच्छे शिक्षक वहीँ पर थे और सबसे अच्छा अनुशाशन उसी स्कूल का था धीरे धीरे पुराने शिक्षक रिटायर होते गए और नए आते गए ऐसा नहीं है की सभी शिक्षक बेकार हैं कुछ अच्छे भी हैं परन्तु वो क्वालिटी नहीं है……..कारण जो कोई भी हो परन्तु ये सच है.
जहां तक मैंने इस विषय को समझा, इसके दो प्रमुख कारण नज़र आते हैं (हो सकता है मैं गलत होऊं) एक तो आज के दौर में बहुत कम या न के बराबर छात्र ही ऐसे हैं जो शिक्षक बनना चाहते हैं, सब इंजीनियरिंग और एमबीए को ज्यादा महत्त्व देते हैं उसके बाद अन्य को महत्त्व दिया जाता है और जो कहीं भी न आ पाए वो इस क्षेत्र में जाता है शायद शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को मेरी ये बात अच्छी न लगे लेकिन ये एक कडवा सच है इस समय बहुत कम लोग या कहें तो न के बराबर लोगों की प्राथमिकता इस क्षेत्र में आने की होगी. और दूसरा कारण आरक्षण जिसके कारण अब शिक्षाक्षेत्र में अच्छे शिक्षकों का अभाव है,
वास्तव में, शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की क्या प्रासंगिकता है? मैं नहीं समझ पा रहा हूँ, शिक्षा किसी को भी जबरदस्ती नहीं दी जा सकती, ऐसा नहीं हो सकता मैं किताब लूँ और पूरी की पूरी किताब किसी के भी दिमाग में घुसा दूँ तो वो विद्वान् हो जाएगा तो फिर हम आरक्षण के माध्यम से जबरदस्ती क्यों किसी को पढ़ाना चाहते हैं या शिक्षक बनाना चाहते हैं जो उसके लायक नहीं है, और क्यों किसी दुसरे के अधिकार को छीन रहे हैं जो सचमुच पढना या पढ़ाना चाहता है. जब संविधान ने सभी को अवसर की समानता दी है तो यहाँ पर किसी जाती या धर्म विशेष को आरक्षण क्यों? जबकि इस तरह के आरक्षण से हम न केवल विकास की धार को कुंद कर रहे हैं बल्कि योग्यता की अवहेलना कर रहे हैं, और खासतौर से शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता में गिरावट भी ला रहे हैं. मैं हर क्षेत्र में आरक्षण का विरोध नहीं करता परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को अपनी नीतियों के विषय में सोचना पड़ेगा . क्यों छात्रों की क्रीमी लेयर इस क्षेत्र में आना नहीं चाहती और क्यों हम आरक्षण के माध्यम से किसी ऐसे व्यक्ति को शिक्षक बना देते हैं जो उस योग्य ही नहीं है………!
वास्तव में देखा जाए तो शिक्षक के ऊपर ही राष्ट्र के निर्माण की जिम्मेदारी होती है, उन्ही के माध्यम से हम अपने सुनहरे भविष्य के सपने देख सकते हैं, परन्तु जब शिक्षक ही योग्यता के पैमाने पर खरे नहीं होंगे तो छात्रों का क्या होगा ………! हमें ये सोचना होगा की हम भी अपनी शिक्षा पद्धति को किस ओर ले जा रहे हैं………! जरा सोचिये ” जो दीपक स्वयम नहीं जलता प्रकाश नहीं देता वो दुसरे दीपकों को कैसे जलाएगा?
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments