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ऐ भाई, ज़रा देख के चलो………..!

JANMANCH
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 हमारे पड़ोसी राजेशजी, जिनको ऐसा लगता है की उनसे ज्यादा अच्छी ड्राइविंग कोई नहीं कर सकता. अगर उनको मौका मिले तो फ़ॉर्मूला वन के अगले चैम्पियन वही बने,
पर क्या करैं उनकी इस प्रतिभा पर किसी पारखी की नज़र ही नहीं पड़ती. उनका मानना है की ड्राइविंग भी एक कला है और प्रत्येक के बस की बात नहीं है, आधे से
ज्यादा तो अनाड़ी ही सड़कों पर मोटर साइकिल, और गाड़ियां लेकर घूम रहे हैं.वैसे हमने भी उनकी ड्राइविंग के चर्चे सुने हुए हैं, जैसे की वो बहुत तेज़ गाड़ी चलाते हैं. उलटे सीधे कट लगाते हैं(जिसे वो कला समझते हैं) आदि आदि .
हर साल उनके एक्सिडेंट का नवीकरण (RENEWAL ) भी हमें सुनने को मिल ही जाता है, तो इस बार जब नवीकरण हुआ तो मैं पड़ोसी धर्म को निभाने उनसे मिलने गया,
वो बिस्तर पर आराम फरमा रहे थे, वैसे क्या हुआ…. कैसे हुआ….. उनसे पूछना बेकार था क्योंकि वो तो हर साल ही एक एक्सिडेंट को अंजाम देते हैं पर फिर भी मैंने पूछा…. कौन था वो नामुराद जिसने आपकी गाडी के आगे आने की हिम्मत की. उन्होंने कमर के पीछे तकिया लगाते हुए कहा ” अजी क्या बताएं साहब एक गधा गलत साइड पर आ गया.
मैंने कहा ….. जी गधे को तो वैसे भी साइड का ज्ञान नहीं होता…! वो बोले अजी मैं उस मूर्ख आदमी को गधा कह रहा हूँ जो गाडी चला रहा था…..आधे से ज्यादा लोगों को ड्राइविंग सैंस ही नहीं है बस ली गाडी और निकल लिए……. किसी को ट्रेफिक नियमों का ज्ञान ही नहीं हैं………. अजी साहब यदि मेरे पास अथोरिटी होती तो सबके लाइसेंस कैंसिल करवा देता………..
उन्होंने अपनी भड़ास निकाली और हम भी चाय पीकर अपने घर आ गए.

कोई साल भर पहले की बात है हमें भी उनके साथ मोटर साइकिल पर सफ़र करने का मौका मिला था मैंने उनसे घबराते हुए कहा अजी सुना है की आप बहुत तेज़ मोटर साइकिल चलाते हैं, ….. ज़रा धीरे चलाइयेगा मेरा दिल कमज़ोर है. वो बोले …..” भाई साहब मैं बाइक बिलकुल तेज़ नहीं चलाता बस पचास पर चलाता हूँ उस से ऊपर नहीं जाता. मैं खुश हुआ, लेकिन साहब क्या बताऊँ सारे रास्ते मेरे दिल की धड़कन ऊपर नीचे होती रही, और मेरी सांस अटकी रही मैं इश्वर से प्रार्थना करता रहा ” भगवन इस बार बचा ले फिर कभी मैं आपके भेजे इस यमदूत के साथ कहीं नहीं जाऊँगा….!” मेरी प्रार्थना सफल रही घर वापस आकर उन्होंने कहा ” देखा कहीं भी पचास से ऊपर नहीं गया, मैं बोला…… जी बिलकुल पर आप तो पचास से नीचे भी कहीं नहीं चले …………! भीड़-भाड़ वाले इलाके मैं भी आप तो बिना ब्रेक लगाए पचास पर चले जा रहे थे……….उनका जवाब ” साहब ज्यादा क्लच – ब्रेक का इस्तमाल करने से पैट्रोल ज्यादा फुंकता है…..!

एक बार गाडी में उनके साथ जाने का मौका मिला …….बस उसी दिन मुझे ट्रेफिक के सारे नियम पता चल गए…….. चलते चलते एक गाडी वाले ने उनके बाएं (लेफ्ट) से ओवरटेक करने की कोशिश की पर साहब ये भी छंटे हुए ड्राइवर थे तो उन्होंने उसे आगे नहीं निकलने दिया……… मैंने कहा अरे निकलने दो उसे तुम्हे क्या दिक्कत है……. उनका जवाब……” भाई साहब दिक्कत है, वो गलत साइड से ओवरटेक कर रहा है………..उसे मेरे सीधे हाथ की तरफ से ओवरटेक करना चाहिए……! अब थोड़ी देर बाद उन्होंने भी ओवरटेक किया अपने सीधे हाथ से यानी आगे वाले के उलटे हाथ की तरफ से मैंने टोका….. भाई अब तुम क्यों गलत ओवरटेक कर रहे हो ………उनका जवाब…” साहब में ठीक कर रहा हूँ……. वो सिंगल रोड थी आमने सामने से ट्रेफिक आ रहा था उस रोड अपने बाएं से ही किसी को ओवरटेक करना चाहिए और यहाँ वन वे ट्रेफिक है एक सड़क पर जा रहे हैं दूसरी बराबर की सड़क पर आ रहे हैं यहाँ पर अपने सीधे से ओवरटेक करना चाहिए ……..! मैं चुप ही रहा मुझे भी इस बात का ज्ञान नहीं था…..
थोडा आगे चलने पर वो आगे वाली गाडी के ड्राइवर पर बड़-बड़ाने लगे मैंने फिर पूछा क्या हुआ…… वो तो सही ओवरटेक कर रहा है……..वो बोले “अजी तो वो अकेला तो इस सड़क पर चल नहीं रहा है मुझे कैसे पता चलेगा की ओवरटेक कर रहा है कम से कम इंडिकेटर तो देना चाहिए……. मैं बोला बिलकुल साहब……..गलती उसकी है……….! अब थोड़ी दूर चलने पर सड़क पर ट्रेफिक थोडा ज्यादा था और लोग थोडा धीरे चल रहे थे……. इस पर राजेश जी की आपत्ति ये की “ये धीरे चलने वाले पहली लेन में क्यों चलते हैं लास्ट लेन में क्यों नहीं चलते……… गाडी ले लेकर चले आते हैं चलाना आता नहीं बैलगाड़ी की तरह सड़क पर चलते हैं ……… जो तेज चलते हैं उनकी राह में रोड़ा बनते हैं……… सबका लाइसेंस जब्त होना चाहिए…………!

मैं बोला अजी साहब आप ही थोडा धीरे चल लीजिये तो क्या फर्क पड़ता है, तो वो बोले ” साहब मैं तेज नहीं चल रहा मैं तो स्पीड लिमिट के हिसाब से ही चल रहा हूँ हाइवे पर ऐसे बैलगाड़ी की तरह थोड़े ही चला जाता है, यहाँ जिनको धीरे चलना है अपने बाएं अंतिम लेन में चलें वर्ना घर बैठें हम जैसों का एक्सिडेंट क्यों करते हैं. साहब हमारे देश में लोगों को ट्रेफिक सेन्स ही नहीं है सब उल्टा सीधा चलते हैं हर जगह जाम लगा देते हैं और दोष सरकार को मढ़ते हैं……….अभी देखना रात को “हाई बीम” पर गाडी चलाएंगे ये नहीं की सामने से गाडी या कोई वाहन आ रहा है तो “लो बीम” पर कर लें, फिर एक्सिडेंट मारते हैं ……..गधे हैं सब के सब……. थोडा सा समझदारी से काम लें तो क्यों इतने ज्यादा एक्सिडेंट हों……. (और मैं ये सोचने लगा की अपने राजेशजी जब इतनी समझदारी से गाडी चलाते हैं तो हर साल एक्सिडेंट मारते हैं यदि आम पब्लिक की तरह चलाते तो क्या होता, पर इतना जरूर है की राजेश जी की बातें मुझे कुछ सही भी लगीं, हम आम लोग क्या अपने वाहन थोड़े से भी ट्रेफिक नियमों के साथ नहीं चला सकते…………?)

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