दंगों को कभी भी और किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता, चाहे वो स्वतंत्रता प्राप्ति के समय बंटवारे के समय हुए हों, या नौआखली में हुआ हिंदुआ का कत्लेआम हो, या १९८४ में सिखों का कत्लेआम. हमेशा से भारत में साम्प्रदायिक दंगे होते रहे और उन पर राजनीति भी…… लीपापोती हुई और सब समाप्त……..! लेकिन २००२ में गुजरात हुए दंगों में कुछ अलग हुआ और वो अलग ये की सरकार को भी इन दंगों में लपेटा गया, तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊपर भी आरोप आये हालांकि अभी मामला कोर्ट में है और हमें कोर्ट के निर्णय का इंतज़ार करना चाहिए, लेकिन इस बीच विपक्षी दलों ने, तथाकथित सेकुलरों ने, मानवाधिकार संगठनों ने, मोदी को तथाकथित दंगों के लिए अपराधी घोषित कर दिया है उन्हें कोर्ट के निर्णय का भी इन्तजार नहीं रहा बहरहाल ये अलग विषय है की ये दल कोर्ट से कितना ऊपर हैं ? फिलहाल तो मैं उस भारत सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट के कुछ तथ्य आप लोगों के समक्ष रख रहा हूँ जिनसे ये आप स्वयं दंगों के विषय में अनुमान लगा सकते हैं.
२७ फरवरी २००२ के गोधरा काण्ड में ५८ हिन्दू जलाकर मारे गए जिसमें २५ औरतें और १५ बच्चे भी शामिल थे. जिसके उपरान्त २८ फरवरी २००२ को अहमदाबाद में दंगे भड़के जिसका प्रमुख कारण वो अफवाह थी जिसमें कहा गया की गोधरा काण्ड के बाद तीन हिन्दू लड़कियों का अपहरण मुस्लिमों ने कर लिया है( हालांकि इस अफवाह के सच या झूठ की कितनी जांच पड़ताल हुई ये तो सरकार ही जाने ). दंगों की शुरुआत गुलबर्ग सोसाइटी से हुई. तत्पश्चात मस्जिदों से ये ऐलान किया गया की ” दूध में जहर है और इस्लाम खतरे में है” और गुजरात के विभिन्न जिलों में दंगा फ़ैल गया. अहमदाबाद, वड़ोदरा, साबरकांठा, पंचमहल, मेहसाना, खेडा, जूनागड़, पतन, आनंद, नर्मदा और गांधीनगर जिलों में अधिकतर हमले हिन्दुओं ने मुस्लिमों पर किये तथा मोडासा, हिम्मतनगर, भरूच, राजकोट, सूरत, भंडेरी पोल तथा दानिलिम्डा में मुसलामानों ने हिन्दुओं पर हमले किये. दंगों में कुल १०४४ लोग मारे गए, जिनमें ७९० मुस्लिम और २५४ हिन्दू थे. २५४८ घायल, २२३ लापता, ९१९ महिलायें विधवा हुईं और ६०६ बच्चे अनाथ. सात साल बाद लापता लोगों को भी मृत मान लिया गया और मृतकों की संख्या १२६७ हो गयी.
पुलिस ने दंगों को रोकने में लगभग १०००० राउण्ड गोलियां चलायीं, जिनमें जिनमें ९३ मुसलमानों और ७७ हिन्दुओं की मौत हुई. दंगों के दौरान १७९४७ हिन्दुओं और ३६१६ मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया बाद में कुल मिला कर २७९०१ हिन्दुओं को और ७६५१ मुस्लमों को गिरफ्तार किया गया.
ये आंकड़े मुझे http://en.wikipedia.org/wiki/2002_Gujarat_violence साईट से मिले हैं.
ये आंकड़े सरकारी हैं और गैरसरकारी आंकड़ों के हिसाब से २००० से ज्यादा लोग इन दंगों में मारे गए, लेकिन हमेशा ही गैर सरकारी आकडे सरकारी आंकड़ों से ज्यादा होते हैं……..पर महत्वपूर्ण विषय ये है यदि सरकार और पुलिस मूक दर्शक बनी थी या हिन्दुओं का साथ दे रही थी तो पुलिस की गोली से ७७ हिन्दुओं की मौत कैसे हो गयी…….. पुलिस ने २७००० से अधिक हिन्दुओं को क्यों गिरफ्तार किया जबकि मुस्लिमों को कम ……? इस रिपोर्ट के बाद और भी बहुत से प्रश्न दिमाग में आयेंगे …….. सोचिये और बताइए
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