मैं अभी अभी मरा हूँ ……. मेरे शरीर को “ओल्ड एज होम” से निकाल कर नगरपालिका वाले विधुत शव दाहग्रह ले जा रहे हैं…….. मेरे घरवालों को खबर कर दी गयी है. अभी वो थोड़ा व्यस्त हैं तो उन्होंने कहलवाया है की समय मिलते ही वो मेरी अस्थियाँ लेने शव दाहग्रह आ जायेंगे ……… चलो अच्छा है वर्ना आज के जमाने में किसको इतना समय है की अपने बूढ़े बाप की अस्थियाँ तक लेने आ जाएँ…….. वो तो उसके संस्कार हैं जो इतना कर रहा है……..वर्ना जब वो बुढाऊ वर्मा मरा था तो उसकी अस्थियाँ तो नगरपालिका वालों ने ही नाले में बहा दी थीं……… कम से कम मेरी अस्थियाँ तो मेरे बच्चे ही बहायेंगे……….!(गंगा सूख चुकी है तो अब इस तरह के कार्य शहर के नालों में ही कर दिए जाते हैं )
चलो छोड़ो ये सब बेकार की बातें हैं…. हुआ यूँ की आज सुबह सवेरे जैसे ही मैंने समाचार पत्र में पढ़ा की भारतीय संविधान में 2050 वाँ संशोधन हुआ है. जिसके तहत हमारी गैर सांप्रदायिक सरकार ने सभी राज्यों को साम्प्रदायिक तौर पर पूर्ण स्वायत्ता दे दी है…….. बस मुझसे सहन नहीं हुआ और मेरी आत्मा ने शरीर का साथ छोड़ दिया………! मेरी आँखों को अब यही दिन देखना रह गया था….. यूँ तो बदलाव की बयार बहुत सालों से चल रही थी पता नहीं क्या क्या नहीं देखा इन बूढी आँखों ने………….लोगों ने इस देश में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक सभी प्रकार की आजादी पायी, आर्थिक विकास के चरम को देखा…….और शायद आदमी के पतन को भी देखा, लेकिन ऐसा मैं समझता हूँ……. पुराने जमाने का जो हूँ………..पर मैं तब नहीं मरा अब मरा जब 2050 वाँ संविधान संशोधन हुआ………
मुझे याद है जब पाँच वर्ष पूर्व वर्मा जी के बेटे की शादी अग्रवाल साहब के बेटे से हुई थी, बड़ी धूम धाम थी मैं थोड़ा सा परेशान था मैंने अपनी शंका का समाधान वर्मा जी से किया “…..अजी ये कैसी शादी है गृहस्थी कैसे चलेगी……. वंश कैसे चलेगा …….! वर्माजी बोले…… ” अजी आप हम तो ठहरे पुराने जमाने के आदमी पर आजकल के बच्चे बहुत तेज़ होते हैं…….. उन्होंने इस सबकी व्यवस्था पहले ही कर दी है ………. चिंता न करो दो महीने बाद मैं दादा भी बन जाऊँगा……….! मैं चौंका………. “अरे इतनी जल्दी कैसे…? वर्माजी बोले अरे इन दोनों ने पहले ही एक कोख किराए पर ले ली थी …….. वो शादी ही तो अब कर रहे हैं ……….. अजी ज़माना बदल गया है हर चीज बाज़ार में मिलती है……….! मैंने दावत उडाई और आ गया…………. मैं सारी रात किराए की कोख के विषय मैं सोचता रहा उस शादी के विषय मैं सोचता रहा……… पर मरा नहीं………..मरा तो अब जब 2050 वाँ संविधान संशोधन हुआ………
वैसे जबसे देश में बाजारवाद बढ़ा है सब चीज सचमुच बड़ी आसानी से मिल जाती हैं………. जैसे अब कन्या भ्रूण हत्या के कारण समाज में लडकियां मिलती ही नहीं है…… और सबसे ज्यादा जरूरत कन्याओं की पड़ती है नवरात्रों में, तो अब कन्याओं की मूर्तियाँ बाज़ार में मिलने लगी हैं जितनी मूर्तियाँ चाहिए ले लो……. हमने तो नौ कन्याओं की मूर्तियों का पूरा सैट बहुत पहले ही ले लिया था बस रामनवमी के दिन उनको भोग लगा देते हैं और हो गया काम ………… न बच्चों की चकचक और न ही कन्याओं के लिए मारामारी ………….इसलिए कन्याओं की कमी का असर शहरों में कम ही पड़ा है बस गावों के लोग परेशान हैं हमारे गाँव में तो हालात बहुत बुरे हैं चार चार लड़कों की शादी एक ही लड़की से कर रहे हैं पर लड़कों की आपस में शादी पर अभी जोर नहीं है……….पर देखिये जब इतना विषम सामाजिक परिवर्तन हुआ तो भी मैं नहीं मरा …………….और मरा तो अब जब 2050 वाँ संविधान संशोधन हुआ………
वैसे गावों की हालत बहुत बुरी हो गयी है…… अब किसान नहीं बचे केवल मजदूर रह गए हैं……जो जमीन कभी उनकी अपनी थी अब वो उसी पर मजदूरी कर रहे हैं………… भुखमरी……. गरीबी……यही सब अब केवल गाँव वालों की जिंदगी में बचा है. कितने ही किसान मजदूर हर साल आत्म हत्या कर लेते हैं…….बहुत ही नारकीय जीवन जी रहे हैं बेचारे…….उनकी हालत इन आँखों से देखी ही नहीं जाती ………कभी कभी लगता हैं इसी कारण जनसँख्या पर नियंत्रण हो पाया है शायद ………. ये सब देख कर भी मैं जीवित रहा ……. और मरा तो अब जब 2050 वाँ संविधान संशोधन हुआ………
मैं जब भी नहीं मरा जब लोगों का कोई धर्म ही नहीं बचा …………. बचा तो केवल बाजारू धर्म………. आज भी सभी धार्मिक काम जारी हैं पर सब हाईटैक हो गया है……….लेकिन न पंडित की जरूरत है न मौलवी की बस कम्पूटर ही सारे काम करा देता है. ………..दिवाली पर पटाखे गायब, होली के रंग गायब, ईद की नमाज गायब………! आरती की थाली भी कंप्यूटर घुमा देता है…….! हाँ गौहत्या अब नहीं होती…….. सरकार ने गाय को दुर्लभ जीव घोषित कर दिया है……… कुछ साल पहले मैंने एक गाय दिल्ली के चिड़ियाघर में देखी थी……..आम लोगों को किसी बात से कुछ लेना देना नहीं है. बस उनके अपने काम और शौक हैं उन्ही को पूरा करने में समय निकल जाता है…… बस एक ही बात अच्छी है की धर्म के नाम पर दंगे तो अब भी होते ही हैं जो अपना ज़माना याद दिला जाते हैं बस………….वर्ना तो कब का मर गया होता…….. पर आज ……..अब जब 2050 वाँ संविधान संशोधन हुआ………जीने की इच्छा ख़त्म हो गयी……..
लो यमलोक तक पहुँच गया यूँ ही सोचते सोचते…………. मैंने यमराज को प्रणाम किया…….यमराज बोले “आ गए…..! तुम्हे तो मरने में बहुत समय लग गया ……… समझ नहीं आता इतने दिनों तक तुम बचे कैसे रहे……… मैं बोला “प्रभु…….. आप सत्य कहते हैं ……..मैंने न जाने क्या क्या विपदाएं नहीं सहीं….. पर कुछ न हुआ, सब झेल गया ……… परन्तु आज जब मैंने 2050 वें संविधान संशोधन के विषय में पढ़ा तो मेरे से सहन नहीं हुआ…… और मैंने देश के लिए प्राण त्याग दिए……….. यमराज बोले….” बकवास बंद कर…… जब सच में देश के लिए मरने का वक्त था तब तो ब्लोगिंग कर रहा था……और अब जब हमने तेरी आत्मा को बुला लिया तो कह रहा है देश के लिए मर गया………! तेरे जैसे लोगों की कभी भी समाज को जरूरत नहीं रही…….. जिनकी देशभक्ति समय पर नहीं जागती, उनकी देश को क्या जरूरत …….अरे कुछ करना था तो वक्त पर करता……. अब यहाँ खड़े होकर क्यों देशभक्त बन रहा है…………यह कहकर यमराज ने मुझे “नकारा लोक” भेज दिया ( ये स्वर्ग लोक और नरक लोक से अलग लोक है जो यमराज ने अभी अभी मेरे जैसे लोगों के लिए बनाया है)
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