अब जब की केंद्र सरकार ने अपने विरोध में चल रहे आन्दोलनों को सफलतापूर्वक दबा दिया है तो मैं सोच में पड़ गया की आखिर इतना प्रबल जनसमर्थन होने के बावजूद भी रामदेवजी की आगे सरकार इतनी निष्ठुर क्यों हो गयी. क्या कारण था की देश के मीडिया तक ने उनका समर्थन नहीं किया……..! देश के तथाकथित बुद्धिजीवी ” भ्रष्टाचार” के मुद्दे को छोड़ कर ” साम्प्रदायिकता ” पर क्यों बोलने लगे……कैसे अचानक रामदेवजी के पीछे “संघ” और “वीएचपी” का हाथ नजर आने लगा………! और मुझे तो इस सबका कारण एक ही नजर आया की रामदेवजी का नाम ही गलत है. अरे कुछ भी नाम होता श्यामदेव, ब्रह्मदेव, शनिदेव सब चल जाता परन्तु “राम” और वो भी “देव” बिलकुल नहीं……….जिस राम को केंद्र सरकार पहले ही भगवान् मानने से मना कर चुकी है अब देव बनकर चले आये…… राम तो अपने आप में पहले से ही साम्प्रदायिक शब्द है तो भला सरकार ने फिर क्या गलत कह दिया …………
अब जहाँ राम का जिक्र होगा तो वहां संघ का और वीएचपी का हाथ होना तो निश्चित ही है……(सरकार का ऐसा मानना है) अब जब नाम ही गलत है तो सब कुछ गलत हो जाता तो बजवा दिया डंडा ……… , चलो थोडा बहुत सरकार मान भी लेती की रामदेवजी साम्प्रदायिक नहीं हैं तो उन्होंने कपडे भी भगवा पहन लिए वो भी सरकार के अनुसार भगवा आतंकवादियों वाले फिर तो डंडा बजाने में कोई दिक्कत ही नहीं थी.
रही सही कसर पूरी कर दी साध्वी ऋतंभरा ने और उमा भारती ने फिर तो रामदेवजी का साम्प्रदायिक होना सिद्ध हो ही गया. जब ये सिद्ध हो गया की रामदेव साम्प्रदायिक हैं तो सरकार ने अपने चार चार मंत्री उनके पास भेजे और मंत्रणा हुई, रामदेवजी ने कहा की काला धन वापस बुलाओ ………. मंत्री बोले पहले अपना नाम बदलो क्योंकि ये नाम साम्प्रदायिक है…….. .. रामदेव ने कहा ये नाम तो बहुत अच्छा है, भगवान् का नाम भी था और “महात्मा गांधी” जिन की पूरी कांग्रेस पार्टी अनुयायी है राम के भक्त थे उनके अंतिम शब्द भी “हे राम” थे………. ! मंत्री बोले राम को तो हम भगवान् ही नहीं मानते….. और रही बात “गांधी” की तो कांग्रेस पार्टी अंतिम बार उनकी अनुयायी तभी तक थी जब उन्होंने पहली बार “राम” कहा था, हे राम कहते ही वो साम्प्रदायिक हो गए और हम उनसे अलग हो गए, अब तुम बताओ नाम बदलते हो या जान गवांते हो ……… रामदेवजी ने कुछ सोचा और कहा “की यदि तुम हमारी बातें मान लो तो हम अपना नाम बदल देंगे, और कल दोपहर को इसकी घोषणा भी कर देंगे और बाद में यहाँ दो तीन दिन हवन करेंगे फिर चले जायेंगे ” …….. मंत्री बोले ठीक है हम प्रधानमंत्रीजी को मना लेंगे की आप नाम बदलने को तैयार हो ये बात हमें लिख कर दो की ” समझौता हो गया है मांगे मान ली गयीं हैं हम इसकी घोषणा कल दोपहर को करेंगे और बाद ४, ५ और ६ तक तप करेंगे…….. बात तय हो गयी पर रामदेवजी के पास मांग मानने का पत्र आया और न ही रामदेवजी ने अपना नाम बदला ……….. ! बस हो गया रातों-रात काण्ड………
अगर रामदेव अपना ये साम्प्रदायिक नाम बदल देते तो न तो डंडे पड़ते…….. कोई सांप्रदायिक शक्तियों का हाथ भी न बताता, मिडिया भी आपका साथ देता…….. बुद्धिजीवी वर्ग आपका गुणगान करता…… .. आपको अनशन की जरूरत भी न पड़ती…… अब भी वक्त है अपना नाम बदल लो तो सब कुछ ठीक हो जाएगा वर्ना तो ये आन्दोलन सांप्रदायिक ही बताया जाएगा
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