घर के बाहर निकलते ही देखा नगरपालिका का सफाई कर्मचारी नाली साफ़ कर रहा है. वो बहुत इमानदार है रोज़ समय से सफाई कर जाता है बस नाली साफ़ करने के उसने हर घर से रुपये बांधे हुए हैं. और जायज भी है आखिर पालिका से पगार ही कितनी मिलती है. जो भी है अच्छा है मैं आगे बढ़ गया सड़क पर ही मैंने एक ठेले से सेब ख़रीदे……….. बहुत महंगे हो गए हैं बताइये आदमी ठीक ढंग से कुछ खा भी नहीं सकता ……… एक किलो सेब लिए और आगे बढ़ गया, थोडा आगे जाकर महसूस हुआ की शायद वज़न में थोडा कम हैं सोचा अभी डांट लगाकर आता हूँ फिर लगा चल छोड़ यार क्या फर्क पड़ता है ५०-६० ग्राम से गरीब आदमी है…….
मैं फिर आगे बढ़ गया तभी नज़र पड़ी एक पुलिस वाला ट्रक वाले से दस रूपए ले रहा है……बड़ा नालायक है …….. हराम की खाने की आदत पड़ गयी है इन लोगों को…..फिर मन ने कहा अरे क्या हुआ …..इन बेचारों की तनख्वाह भी तो कम ही होती है और ये अकेला तो खायेगा नहीं……. कोई बात नहीं जब सब ले रहे हैं तो इसी को क्यों दोष दें.
तो हमारे साथ चलो जरा बिजली दफ्तर ….. रात से लाईट नहीं आ रही है……
चलो
वहां पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई और लाइनमैन से बात की उसने कहा १०० रूपए दीजिये अभी ठीक कर आते हैं. शर्माजी ने रूपए दिए और लाइनमैन बिजली ठीक करने चला गया. शर्मा जी बोले चलो कोई बात नहीं १०० रूपए गए पर लाईट तो तुरंत चालू हो जायेगी वर्ना इस गर्मी हालत खराब हो जाती ………..
आगे चल कर देखा रेलवे क्रोसिंग पर जाम लगा हुआ था लोग परेशान थे इतनी देर से फाटक बंद है और ट्रेन आई नहीं ………. ये गेटकीपर भी बहुत जल्दी फाटक बंद कर देता है………….एक व्यक्ति कह रहा है…. अभी तो ट्रेन भी नहीं आई और बाद मैं ये जाम ……. हो गया एक घंटा खराब ………दूसरा बोला अजी साहब इस गेटकीपर के इन सब ठेले वालों से पैसे बंधे हुए हैं इसलिए ये जल्दी फाटक बंद कर देता है जिससे लोग लोग इन ठेलों पर से कुछ न कुछ ले खरीद लें ……. कुछ तो बिक्री हो ही जाती है……..इन ठेले वालों की और गेटकीपर की भी आमदनी……
मैं सोचने लगा आखिर ये सब क्या है……. दूधवाला दूध में पानी मिला रहा है, घी तेल नकली मिल रहा है, सरकारी कर्मचारी बिना सुविधा शुल्क के कोई काम नहीं कर रहे हैं …..प्राइवेट कर्मचारी झूठे बिल बना कर कंपनी से पैसे ले रहे हैं. मंदिर में भगवान् पैसे लेकर दर्शन दे रहे हैं जिसके ज्यादा पैसे उसको उतनी जल्दी दर्शन ……….. स्कूल में टीचर विधार्थियों को टूशन पढने के लिए जोर डाल रहे हैं, अस्पताल में डोक्टर सरकारी दवाइयों को मार्केट में बेच रहे हैं.. प्राइवेट डोक्टर दवाइयों पर कमीशन खा रहे हैं… मीडिया वाले सच्चाई छुपाने की कीमत मांग रहे हैं…… यहाँ तक की न्याय लेने जाइए वो भी बिक रहा है……………………………और तो और माँ अपने बच्चे से कह रही है बेटा होमवर्क जल्दी करो तो तुम्हे चोकलेट मिलेगी………………
जो जिस स्तर पर है उस स्तर पर और उसी स्तर की बेईमानी कर रहा है….. नेता अपने स्तर की ….अभिनेता अपने स्तर की….. ! ये सब हो क्या रहा है………!
मैं सोचता हुआ घर वापस आ गया ……… अखबार पढने लगा …….. चारों तरफ भ्रष्टाचार की खबर ……राजा जेल में……. कलमाड़ी जेल में. ………चलो अच्छा हुआ हजारों करोड़ रूपए खा गए…. ये तो होना ही चाहिए……. जितने भी भ्रष्टाचारी हैं सबको अन्दर जाना चाहिए……….
तभी एक क्लाइंट आ गया, मैंने उसके काम के विषय में समझ कर उसे अपनी फीस बता दी मैंने कहा ये मेरी फीस ५००० रूपए होगी ……. और आपका काम हो जाएगा पर हाँ यही कोर्ट में करीब १०००० रुपये लगेंगे……. खर्चे के ………
ठीक है वकील साहब आप काम कराइए ………..और ये लीजिये १०००० रूपए खर्चे के आपकी फीस तो में बाद में दे दूंगा.
मैंने कहा ठीक है कोई बात नहीं काम के बाद दे देना…… वो व्यक्ति चला गया….
मैंने फिर अखबार पर निगाह डाली और भ्रष्ट मंत्रियों को गाली दी …….. फिर श्रीमती जी को आवाज़ लगाई अजी सुनती हो ………. श्रीमती जी जब पास आई तो मैंने उन्हें ५००० रूपए दिए कहा ये रखो…… तुम्हारे घर खर्च के लिए काम तो ५००० में ही हो जाएगा ……………………….
और फिर भ्रष्टाचार पर बुदबुदाते हुए में कोर्ट के लिए तैयार होने चला गया…………….
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