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आत्मायें मर चुकी हैं

JANMANCH
JANMANCH
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  • 1286 Comments

मैं,
जीवनरूपी
कुरुक्षेत्र में था !
थोडा सा व्यथित
और परेशान था !!
मेरे समक्ष
सभी मेरे अपने थे !
कुछ सम्बन्धी थे
कुछ मित्र थे !!
मैं,
किसको धोखा दूँ,
किससे झूठ बोलूं,
किससे कैश लूटूं
किसकी जायदाद हड्पूं
कुछ समझ नहीं पा रहा था !
इसीलिए
भगवान् कृष्ण को बुला रहा था !!
“मुखमंडल” पर
कालगेटी मुस्कान चिपकाये !
मेरे याद करते ही
भगवान् आये !!
वैसे
भगवान्
बुलाने पर भी कहाँ आते हैं !
पुण्य आत्माएं
बुलाएं तभी आते हैं. !!
मेरे यहाँ आने पर
इतना तय हो गया !
एक तो
पुण्यआत्मा जीवित है,
ये सिद्ध हो गया !!
भगवान्
ने मेरी समस्या
का समाधान बतलाया !
मुझे “भगवद्गीता”
का नया संस्करण समझाया !!
बोले,
क्यों व्यर्थ चिंता करते हो,
किसको लूटने से डरते हो,
कौन तुम्हे धोखा नहीं देगा,
या
कौन तुमसे मूर्ख नहीं बनेगा,
तुम तो,
सिर्फ फल पर ध्यान दो !
किसको लूटना है
उसका नाम लो !!
क्योंकि
सारे कर्मकांड तो
मैं ही संभालता हूँ !
असली कहानी को ज़रा
शॉर्ट में समझाता हूँ !!
तुम्हारी
धोखाधडी का प्रभाव
इन पर नहीं पड़ेगा !
ये तो
निष्प्रभावी शारीर हैं,
प्रभाव तो आत्मा पर पड़ेगा !!
और
आत्मा को लेकर
तुम परेशान न हो !
क्योंकि, तुम आत्मा को
न देख सकते हो,
न पा सकते हो !!
शरीर तो,
अज़र – अमर है !
समस्त घटनाक्रम से बेअसर है !!
ये तो,
मरकर भी
एल्बम में जीवित रहेगा !
पर
आत्मा का
कहीं कोई फोटो नहीं मिलेगा !!
सभी लोग
धोखाधड़ी और लूटपाट करते हैं !
किसी कुकृत्य में,
कभी नहीं शरमाते हैं !!
तो तुम क्यों,
भ्रम में आते हो !
क्यों नहीं
चार-छः को लूट लाते हो !!
मैं बोला,
प्रभु,
मुझे अपनों से धोखाधड़ी
अच्छी नहीं लगती !
मेरी आत्मा भी,
इसकी गवाही नहीं देती !!
“आत्मा” के कारण
मैं किसी को मूर्ख
नहीं बना पता हूँ !
मरकर आपको मुहं दिखाना है,
ये सोचकर घबराता हूँ.
भगवान् बोले,
हे कलयुगी नादान,
मतकर इन बातों का ध्यान !
अपनी “आत्मा” से,
तू क्यों इतना दुखी है !
तेरे संगी साथियों की “आत्मा” तो
पहले ही मर चुकी है !!
तुझे भी अपनी आत्मा को
मारने में फायदा रहेगा
अन्यथा,
तू सदा दुखी रहेगा !!
और
तू मुझे मुहं दिखाने की चिंता मतकर !
मेरे पास कोई नहीं आता मरकर !!
मेरे पास तो
केवल आत्माएं हैं आती
पर आजकल
तो लोगों में “आत्मा” ही नहीं होती
इसीलिए,
मैं, किसी का,
मुहं नहीं देख पाता !
और
हरकोई मरकर भी
धरती पर ही रह जाता !!
इसीलिए,
तो धरती पर
जनसँख्या बढ़ रही है
लोगों में,
धोखाधड़ी और लूटपाट बढ़ रही है !!
धरती पर,
लोगों के दुखों का कोई समाधान नहीं है !
क्योंकि लोगों की “आत्मायें” तो
कब की मर चुकी हैं !!

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